प्यासी धूप, भरने को घूंट कोई ठांव खोजती है
नादां, तपते सहरा में बादल का गाँव खोजती है !
बेईमानों की बस्ती में... ईमानदारी की उम्मीद
मूरख, दरिया-ए-आग में,मोम की नाव खोजती है !
तरीके अब और भी हैं अपनों की आमद पाने को
पगली, मुंडेर पर ,कौवे की काँव-काँव खोजती है !
दरों पर दरख्त, दरख्तों पर परिंदें नहीं दीखते
भोली, कंक्रीट के वन में पेड़ की छांव खोजती है !
होके मगन नाच उठी थी,इश्क़ में घनश्याम के
बावरी, घुंघुरू बंधे मीरा के वो पाँव खोजती है !
वो दरिया-ए-मोहब्बत,जहाँ परवान चढ़ा था इश्क़
गुस्ताख़,तालिबानी फरमान में चिनाव खोजती है !
हारी हुई बाज़ी से जो बिगड़ी थी,उसे पलटने को
roz, शकुनी के चौसर में आखरी दांव खोजती है !
~s-roz~
नादां, तपते सहरा में बादल का गाँव खोजती है !
बेईमानों की बस्ती में... ईमानदारी की उम्मीद
मूरख, दरिया-ए-आग में,मोम की नाव खोजती है !
तरीके अब और भी हैं अपनों की आमद पाने को
पगली, मुंडेर पर ,कौवे की काँव-काँव खोजती है !
दरों पर दरख्त, दरख्तों पर परिंदें नहीं दीखते
भोली, कंक्रीट के वन में पेड़ की छांव खोजती है !
होके मगन नाच उठी थी,इश्क़ में घनश्याम के
बावरी, घुंघुरू बंधे मीरा के वो पाँव खोजती है !
वो दरिया-ए-मोहब्बत,जहाँ परवान चढ़ा था इश्क़
गुस्ताख़,तालिबानी फरमान में चिनाव खोजती है !
हारी हुई बाज़ी से जो बिगड़ी थी,उसे पलटने को
roz, शकुनी के चौसर में आखरी दांव खोजती है !
~s-roz~
तरीके अब और भी हैं अपनों की आमद पाने को
ReplyDeleteपगली, मुंडेर पर ,कौवे की काँव-काँव खोजती है !
वाह ! लाजवाब