अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Friday, August 13, 2010

शिव कि आराधना लिंग कि रुप मे क्यु होती है तथा उनके तत्वों क सार क्या है ?

विषय विषद है पर जहाँ तक मैने जानकारी हासिल कि है उसके अनुसार लिंग के रुप मे शिव कि  आराधना का
भाव यही है कि शिव अव्यक्त लिंग (बीज) के रूप में इस सृष्टि के पूर्व में स्थित हैं। वही अव्यक्त लिंग पुन: व्यक्त लिंग के रूप में प्रकट होता है। जिस प्रकार ब्रह्म को पूरी तरह न समझ पाने के कारण 'नेति-नेति' कहा जाता है, उसी प्रकार यह शिव व्यक्त भी है और अव्यक्त भी। वस्तुत: अज्ञानी और अशिक्षित व्यक्ति को अव्यक्त ब्रह्म (निर्गुण) की शिक्षा देना जब दुष्कर जान पड़ता है, तब व्यक्त मूर्ति की कल्पना की जाती है। शिवलिंग वही व्यक्त मूर्ति है।
 
यह शिव का परिचय चिह्न है। शिव के 'अर्द्धनारीश्वर' स्वरूप से जिस मैथुनी-सृष्टि का जन्म माना जा रहा है, यदि उसे ही जनसाधारण को समझाने के लिए लिंग और योनि के इस प्रतीक चिह्न को सृष्टि के प्रारम्भ में प्रचारित किया गया हो तो क्या यह अनुपयुक्त और अश्लील कहलाएगा। जो लोग इस प्रतीक चिह्न में मात्र भौतिकता को तलाशते हैं, उन्हें इस पर विचार करना चाहिए।
शिव कर्पूर गौर अर्थात सत्वगुण के प्रतीक हैं। वे दिगंबर अर्थात माया के आवरण से पूरी तरह मुक्त हैं।
शिव लिंग को अंतर्ज्योति का प्रतीक माना गया है। यह ध्यान की अंतिम अवस्था का प्रतीक है, क्योंकि सृष्टि के संहारक शिव भय, अज्ञान, काम, क्रोध, मद और लोभ जैसी बुराइयों का भी अंत करते हैं।

शंकर  जी  को  जगत पिता कहाँ गया है इसलिए पुर्व्काल मे मुर्ति शिश्नरूप मे होती थी , भग (योनी)एव लिंग इन् जनानिन्द्रियों के कारण हि प्राणी  सृष्टि उत्पत्ति सम्भव होती है ,यह जन्ते हुए आदिमनाव समाज ne इन्हे पुजत्व प्रदान किया इसिसे योनी के प्रतीक शालुका और लिंग के प्रतिक लिंग के संयोंजन से पिंडी निर्मित हुइ ,भूमि( याने सृजन और शिव याने पवित्रता इस प्रकार शालुका(लिंग्वेदी) मे सृजन और पवित्रता के रह्ते हुए भी ,विश्व कि उत्पत्ति वीर्य द्वारा नही हुइ है ,बल्कि  शिव  के  संकल्प द्वारा हुइ है .आठ शिव वा पार्वती जगत के मत पिता हुए ,
कनिष्क के पुत्र हुइइश्क  ने दुसरे  हस्तक से शिवलिंग पूजा कि शुरुआत कि ,शिव शक्ति सम्प्रदाय जब एकत्र हो गे तब शिवलिंग कि कल्पना कि गई ,शक्ति बिना शिव कुछ भी नही सकते इसलिए शिव(लिंग) के साथ् शक्ति (शालुका) का पुजन आरम्भ हुआ
 
शालुका(लिंग्वेदी)---दक्ष प्रजापति प्रथम कि कन्या भूमि है शालुका उनका हि एक रुप है ,शालुका का मूल नाम सुवर्ण शंख्नी है क्युकी शंख का आकार (कौडी )स्त्री के सर्जनेंद्रियो समान है ,शालुका कि पूजा अथार्थ मात्री देवी कि पूजा .शालुका के अंदर कि ओर पी जाने वाले खाचे महत्वपूर्ण होते है उनके कारण पिंडी निर्माण होने वली सात्विक शक्ति पिंडी वा गर्भ ग्रिह मे घुम्ती रहती है ,और विनाशकारी तम pradhaan   शक्ति शालुका स्रोत से भर निकलती है ....
इसलिए कहाँ जाता है कि जो जल शालुका से बहर नाली मे बह्ता है उसे लान्घ्ना नही चाहिए
 
शिव के तत्वो का सार
 
  •  उनकी जटाएं वेदों की ऋचाएं हैं। शिव त्रिनेत्रधारी हैं अर्थात भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों के ज्ञाता हैं।
  • बाघंबर उनका आसन है और वे गज चर्म का उत्तरीय धारण करते हैं। हमारी संस्कृति में बाघ क्रूरता और संकटों का प्रतीक है, जबकि हाथी मंगलकारी माना गया है। शिव के इस स्वरूप का अर्थ यह है कि वे दूषित विचारों को दबाकर अपने भक्तों को मंगल प्रदान करते हैं।
  • शिव का त्रिशूल उनके भक्तों को त्रिताप से मुक्ति दिलाता है।
  •  उनके सांपों की माला धारण करने का अर्थ है कि यह संपूर्ण कालचक्र कुंडली मार कर उन्हीं के आश्रित रहता है। चिता की राख के लेपन का आशय दुनिया से वैराग्य का संदेश देना है। भगवान
  •  शिव के विष पान का अर्थ है कि वे अपनी शरण में आए हुए जनों के संपूर्ण दुखों को पी जाते हैं।
  •  शिव की सवारी नंदी यानी बैल है। यहां बैल धर्म और पुरुषार्थ का प्रतीक है।
 
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Friday, August 6, 2010

The Cloud and The Sand Dune((From Paulo Coelho's "Like A Flowing River")


A young cloud was born in the midst of a great storm over the Mediterranean Sea, but he did not even have time to grow up there, for a strong wind pushed all the clouds towards Africa. As soon as the clouds reached the continent the climate changed . A bright sun was shining in the sky and stretched out beneath them, lay the golden sands of the Sahara. Since it almost never rains in the desert, the wind continued pushing the clouds towards the forests in the south. Meanwhile, as happens with young humans too, the young cloud decided to leave his parents and his older friends in order to discover the world. 'What are you doing' cried the wind. 'The desert's the same all over. Rejoin the other clouds, and we'll go to Central Africa where there are amazing mountains and trees!' But the young cloud, natural rebel, refused to obey, and, gradually, he dropped down until he found a gentle, generous breeze that allowed him to hover over the golden sands. After much toing and froing, he noticed that one of the dunes was smiling at him. He saw that the dune was also young, newly formed by the wind that had just passed over. He fell in love with her golden hair right there and then. 'Good morning', he said. 'what's life like down there?' 'I have the company of the other dunes, of the sun and the wind, and of the caravans that occasionally pass through here. Sometimes it's really hot, but it's still bearable. What's life like up there?' 'We have the sun and the wind too, but the good thing is that I can travel across the sky and see more things.' 'For me,' said the dune, 'life is short. When the wind returns from the forests, I will disappear.' 'And does that make you sad?'

'It makes me feel that I have no purpose in life.' 'I feel the same. As soon as another wind comes along, I'll go south and be transformed into rain but that is my destiny.' The dune hesitated for a moment, then said: 'did you know that here in the desert, we call the rain paradise?' 'I had no idea that I could ever be that important,' said the cloud proudly. 'I've heard other older dunes tell stories about the rain. They say that, after the rain, we are all covered with grass and flowers. But I'll never experience that, because in the desert it rains so rarely.' It was the cloud's turn to hesitate now. Then he smiled broadly and said:'if you like, I could rain on you now. I know I've only just got here, but I love you, and I'd like to stay here forever.' 'When I first saw you up in the sky, I fell in love with you too' said the dune. ' But if you transform your lovely white hair into rain, you will die.' 'Love never dies', said the cloud 'it is transformed, and, besides, I want to show you what paradise is like.' And he began to caress the dune with little drops of rain so that they could stay together for longer, until a rainbow appeared. The following day, the little dune was covered in flowers. Other clouds that passed over, heading for Africa thought that it must be part of the forest they were looking for and scattered more rain. Twenty years later, the dune had been transformed into an oasis that refreshed travellers with the shade of its trees. And all because, one day, a cloud fell in love, and was not afraid to give his life for that love.

conclusion is that ..."the result of selfless love is not a mirage but  abeautyful oasis"

saroj