अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Monday, November 26, 2012

"वक़्त का कबाड़ी "

वक़्त का कबाड़ी !
सन्नाटों से भरी खाली बोतलें,
खरीदता भी है और बेकता भी !
बेचने वाले जिंदगी जी चुके होते हैं,शायद !
और खरीदने वाले ........
उसमे जिंदगी भरने की जद्दोजहद में
मशगूल रहते हैं !
कुछ....
जो हुनरमंद है,
उसमे जिंदगी, भर पाते हैं !
...
और कुछ ,हम जैसों की,
जिंदगी !
कुछ बोतल में
कुछ बोतल के मुहाने और कुछ बोतल के आसपास
छिटकी पड़ी रहती है !
ये जिंदगी भी है न बड़ी सख्त जान है !
बोतल के संकरे मुहाने
उसे भरना
सबके बस की बात नहीं ............!
~s-roz ~

Thursday, November 8, 2012

"तसव्वुर तेरा "

"मौसम ए बारिश" गुज़र चुकी है
सर्द रातों की आमद है
कभी फुर्सत से
मुसलसल ...
बरसते थे जो लरजते लम्हें
जमींदोज हैं !
मगर ज़ेहन के
किसी तंग सी गर्त से
रूह की सतह पर
टप.. टप.. टप ,
रिसता रहता है
अब भी
तसव्वुर तेरा !
~s-roz~
(बिटिया को "Under ground water"पढ़ाते हुए :)

Thursday, November 1, 2012

"कह देते मुझसे एक बार "

"मेरा स्नेह,मेरी पूजा,
मात्र प्राक्कथन था तुम्हारे लिए
जल रही थी शंकाएं जब मन में
कह देते मुझसे एक बार
मै उपलब्ध थी,शमन के लिए.............!

ह्रदय कुंड में स्वाहा किया,
निज अहंकार तुम्हारे लिए
जब दिनोंदिन शेष होती रही प्रेम समिधा
कह देते मुझसे एक बार मैं उपलब्ध थी हवन के लिए ..............!

संबंधो के मंथन में
सदा अमृत ही चाहा तुम्हारे लिए
किन्तु अमृत पान कहाँ सरल है गरल के बिना
कह देते मुझसे एक बार
मैं उपलब्ध थी,आचमन के लिए ..........!
~s-roz~