अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Wednesday, January 26, 2011

"याद आता है "

"अभी का कुछ नहीं,पर बचपने का हर मंज़र याद आता है
कभी अंगना  की किलकारी  कभी वो 'दर' याद आता है
"अक्सर नम हो आती हैं आखें यु ही बैठे बिठाये  
गुज़रा ,जहाँ बचपन वो गाँव का छप्पर  याद आता है  
सयानी हो रही बेटी को ही क्या हमें  भी
वो खिलौनों का पाना  वो गुड़ियों का'घर' याद आता है
भूले तमाम देश और शहर जो घूमे  अबतलक 
मगर बचपन की हर गली का हर एक 'पहर'याद आता है "
~~~S-ROZ~~~  

4 comments:

  1. जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई -- आप जीये हजारो साल, साल के दिन हो पचास हज़ार - संजीव कुमार बब्बर www.sanjeevkumarbabbar.blogspot.com

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  2. bahut bahut shukriya sanjeev ji

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  3. बचपन की हर गली का हर मंजर याद आता है....
    बहुत ही सुंदर भाव और हर व्यक्ति का सच....बचपन की यादें सभी संजोए रखते हैं....

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