"अभी का कुछ नहीं,पर बचपने का हर मंज़र याद आता है
कभी अंगना की किलकारी कभी वो 'दर' याद आता है
"अक्सर नम हो आती हैं आखें यु ही बैठे बिठाये
गुज़रा ,जहाँ बचपन वो गाँव का छप्पर याद आता है
सयानी हो रही बेटी को ही क्या हमें भी
वो खिलौनों का पाना वो गुड़ियों का'घर' याद आता है
भूले तमाम देश और शहर जो घूमे अबतलक
मगर बचपन की हर गली का हर एक 'पहर'याद आता है "
~~~S-ROZ~~~
जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई -- आप जीये हजारो साल, साल के दिन हो पचास हज़ार - संजीव कुमार बब्बर www.sanjeevkumarbabbar.blogspot.com
ReplyDeletebahut bahut shukriya sanjeev ji
ReplyDeleteबचपन की हर गली का हर मंजर याद आता है....
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर भाव और हर व्यक्ति का सच....बचपन की यादें सभी संजोए रखते हैं....
truly brilliant..
ReplyDeletekeep writing..all the best