"सभी सिली तीलियाँ लिए बैठे है ..
इंतज़ार में उस तेज़ धूप कि किरण का
जो चली है मिस्र से अभी "
~~~S-ROZ~~~
"देखना बाँध उनके सब्र का ना बह चले
जो छेड़ा जिक्र रोटी का फाकाकशों के सामने"
~~~S-ROZ~~~
जो छेड़ा जिक्र रोटी का फाकाकशों के सामने"
~~~S-ROZ~~~
"रुकते नही अब हम सड़कों के हादसे देख
जम सा गया है मेरा ज़मीर भी कुछ
सड़क पर जमे उस खूँ की तरह "
~~~S-ROZ~~~
जम सा गया है मेरा ज़मीर भी कुछ
सड़क पर जमे उस खूँ की तरह "
~~~S-ROZ~~~
"काश के फिर चले वो हवाएं पूरब की,
वो सोंधी खुशबु जो आती थी हर एक गाँव से
अब तो डर है के मिट ना जाए,
हमारी तहज़ीब-ओ-तमद्दुन पश्चमी हवाओं के दबाव से"
~~~S-ROZ ~~~
...तहज़ीब-ओ-तमद्दुन =सभ्यता एवं संस्कृति
वो सोंधी खुशबु जो आती थी हर एक गाँव से
अब तो डर है के मिट ना जाए,
हमारी तहज़ीब-ओ-तमद्दुन पश्चमी हवाओं के दबाव से"
~~~S-ROZ ~~~
...तहज़ीब-ओ-तमद्दुन =सभ्यता एवं संस्कृति
वाह सरोज जी....बहुत खूबसूरत शेर हैं....तीसरा और चौथा शेर तो बहुत ही अच्छा लगा......बहुत खूब|
ReplyDeleteवाह ! सरोज जी,
ReplyDeleteहर शेर दिल को छू गया !
पढ़ते हुए मैंने तूफ़ान को महसूस किया !
मेरी बधाई स्वीकार करें !
इमरान अंसारी जी@एवं ज्ञान चंद जी आप दोनों का स्वागत एवं बहुत बहुत शुक्रिया हौसला अफजाई के लिए
ReplyDeleteहर शेर लाजवाब और बेमिसाल ..
ReplyDeleteनौजवान भारत समाचार पत्र
ReplyDeleteसभी साथियो को सूचित किया जाता है कि हमने एक खोज शुरू की है युवा प्रतिभाओं की। जिसमें हम देश की उपेक्षित युवा प्रतिभाओं को आगे लाना चाहते है। जो युवा प्रतिभा इस में भाग लेना चाहते हो वो अपनी रचना इस ई मेल पर भेजें
noujawanbharat@gmail.com
noujawanbharat@yahoo.in
contect no. 097825-54044
090241-119668:48 PM
saare sher achchhe hain...ab follow kar raha hon, aage bhi aaunga...
ReplyDeleteसंजय जी@/हेमू जी@./मुकेश जी @/आप सभी की अनमोल टिप्पणियों के लिए आप सभी का ह्रदय से आभार !!!!
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