अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Thursday, February 10, 2011

"ज़िन्दगी "

"उससे मैंने पूछा..
कौन तू ? क्यूँ है तू ? 
उसने कहा, मै,तेरी ज़िन्दगी
कल बताउंगी  क्यूँ हूँ  मैं
 उस कल के इंतज़ार में 
बीत गए  कल परसों 
और फिर बरसो
लेकिन वो न आई
शायद वो कल आये
बताने कि वो क्यूँ है?"
~~~S-ROZ~~~

3 comments:

  1. आदरणीय सरोज जी
    नमस्कार !
    ..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

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  2. AAPKA HARDIK AABHAR SANJAY JI ,.....

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  3. सरोज जी,

    बहुत सुन्दर.....पर कल कभी आता कहाँ है?

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