पुरखों ने देखा दमन
भोगा भूख
झेली ज़िल्लत
सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट
की ज़ेद्दोजहद में
सीखा छीनना
चाहा जिंदा रहने का अधिकार
और उनकी भूख ने
असमानताओं को खाते खाते
धर लिया हाथों में
हल की जगह असलहा
मुंह को लग गया खून
अब उनकी जठराग्नि अन्न से नहीं बुझती "
~s-roz~
(झारखण्ड में नक्सलियों द्वारा घेर कर मारे गए एस पी एवं पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजली )
भोगा भूख
झेली ज़िल्लत
सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट
की ज़ेद्दोजहद में
सीखा छीनना
चाहा जिंदा रहने का अधिकार
और उनकी भूख ने
असमानताओं को खाते खाते
धर लिया हाथों में
हल की जगह असलहा
मुंह को लग गया खून
अब उनकी जठराग्नि अन्न से नहीं बुझती "
~s-roz~
(झारखण्ड में नक्सलियों द्वारा घेर कर मारे गए एस पी एवं पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजली )
ओह ॥ सत्य को कहती अच्छी रचना .... छिनना की जगह शायद छीनना आएगा ।
ReplyDeleteसादर आभार संगीता जी ..सुधार हेतु अनेक धन्यवाद !!
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