जली रस्सी में बल होते हैं,बल नहीं होता,
तख़्त पे बैठा हर आदमी,सबल नहीं होता !
है ताक़त बहुत, इन भूख के निवालों में,
जज़्बा फाकाकशी का, दुर्बल नहीं होता !
रास्तों में नेकी के, हैं खाइयाँ गहरी बड़ी ,
हौसला उसपे चलने का, प्रबल नहीं होता !
हर्फों,खयालों ने, खूबसूरती से गढ़ा मगर,
कागजों पर बना घर, महल नहीं होता !
रौनकें कहाँ खो गईं है ,क़दीम क़स्बों की,
बहारों में भी गुलज़ार,आजकल नहीं होता!
धमाके दर धमाके वो लाख बरपाए मगर,
इरादा बदी का कभी भी,सफल नहीं होता !
क़ातिलों के जिस्मों में भी तो,वो धडकता है
दिल इनका,मुर्दे देख,क्यों विकल नहीं होता ?
आवाम के संजीदा मस'ले बैठकों में हल होतें हैं
अफ़सोस, उनमे से एक भी, अमल नहीं होता !
यहाँ हादसे इस क़दर,मामूल हो चले हैं "roz,
किसी गमीं पर अब, चश्म सजल नहीं होता !
~s-roz~
तख़्त पे बैठा हर आदमी,सबल नहीं होता !
है ताक़त बहुत, इन भूख के निवालों में,
जज़्बा फाकाकशी का, दुर्बल नहीं होता !
रास्तों में नेकी के, हैं खाइयाँ गहरी बड़ी ,
हौसला उसपे चलने का, प्रबल नहीं होता !
हर्फों,खयालों ने, खूबसूरती से गढ़ा मगर,
कागजों पर बना घर, महल नहीं होता !
रौनकें कहाँ खो गईं है ,क़दीम क़स्बों की,
बहारों में भी गुलज़ार,आजकल नहीं होता!
धमाके दर धमाके वो लाख बरपाए मगर,
इरादा बदी का कभी भी,सफल नहीं होता !
क़ातिलों के जिस्मों में भी तो,वो धडकता है
दिल इनका,मुर्दे देख,क्यों विकल नहीं होता ?
आवाम के संजीदा मस'ले बैठकों में हल होतें हैं
अफ़सोस, उनमे से एक भी, अमल नहीं होता !
यहाँ हादसे इस क़दर,मामूल हो चले हैं "roz,
किसी गमीं पर अब, चश्म सजल नहीं होता !
~s-roz~
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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