अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Wednesday, July 20, 2016

सुपर-मैन

कहानी -सरोज सिंह

_______________

थर्ड पीरियड के ओवर होते ही वैभव सुपर-मैन टॉय बैग से निकालकर अमन को दिखाते हुए बोला,

"अमन, ये देखो"

"वाओ सुपरमैन!!! किसने दिया? सुपरमैन उससे लेते हुए अमन ने पूछा

वैभव इतराते हुए बोला "मेरे पापा ने गिफ्ट किया है"

मैथ्स टीचर मिसेज मेथ्यु को क्लास में घुसते देख,वैभव ने तुरंत सुपरमैन अमन से छीनकर बैग में रख लिया!

मिसेज मेथ्यु प्राइमरी सेक्शन की हेड-मिस्ट्रेस थी,बच्चे उनसे थर्राते थे,यदि वो गेलरी में निकल जायं तो मजाल है कोई बच्चा दिख जाए उन्हें? लम्बी नाक, गोल फ्रेम के बाइफोकल चश्मे से तरेरती आँखे, अक्सर हाथ में उनके छड़ी होती! याने यूँ कहें के दहशत का दूसरा नाम था,मिसेज मेथ्यु!

 रजिस्टर और बैग टेबल पर रखते हुए मिसेज मेथ्यु ने बुलंद आवाज़ में कहा,

"ओपन योर होम-वर्क चिल्ड्रेन"

झटपट सबकी होमवर्क कॉपी खुल गई,एक-एक करके मिसेज मेथ्यु सबकी कॉपी जांचने लगीं! किसी को डांट पड़ती, किसी को शाबाशी तो किसी को रिवर्क करने को कहते हुए वो अमन के पास आ पहुची,अमन ने झट खड़े होकर कॉपी मिस को थमा दी!  

"उम्ह..हं अमन नीटनेस लाओ", कहते हुए मिसेज मेथ्यु ने अमन की चेक की हुई कॉपी लौटा दी  

 बगल में वैभव कॉपी बंद किये सर झुकाए बैठा था,मिसेज मैथ्यू को माज़रा समझते देर न लगी,

आवाज़ में सख्ती लाते हुए बोलीं

 "वैभव, शो मी योर कॉपी"

"सॉरी..... मैम, होमवर्क नहीं किया" खड़े हुए वैभव की टाँगे अब भी काँप रही थी

वायsssss? मिस के पूछने पर सहम गया वैभव

"मैम, मम्मी हॉस्पिटल में..."

"अच्छा? आज मम्मी हॉस्पिटल में कल पापा हॉस्पिटल में, झूठे बहाने हैं सब,तुम्हे पता है न होम-वर्क नहीं करने पर, क्या सजा मिलती है? सारे दिन डेस्क पर कान पकड़कर खड़े रहोगे"

 वैभव को गुस्से में डपटते हुए मिस मेथ्यु ने कहा!

कान पकड़ते हुए वैभव ने कहा, "सॉरी मैम"

"हम्म,तुम नए हो इसलिए एक्सक्यूज करती हूँ,कल दोनों दिन का होमवर्क कर के लाओगे और ये बाल हिप्पियों की तरह क्यूँ बढ़ा रखे हैं? कल हेअरकट नहीं हुआ तो पूरे क्लास के सामने पोनी बना दूंगी समझे"

"यss यस मैम", सहमते हुए वैभव ने कहा

मिसेज मैथ्यू पिछली बेंच के बच्चों की कॉपी चेक करने लगी! अमन और वैभव को लगा जैसे अभी-अभी गॉडज़िला उन्हें सूंघ के आगे बढ़ा हो!

अमन हैरत से वैभव की कॉपी खोलकर देखता रहा कि कोई कैसे मिसेज मेथ्यु का होम-वर्क मिस कर सकता है?

 "वैभव,कल होमवर्क जरुर कर लेना, तुम्हे पता नहीं, रोहित को मैम ने इत्ता डांटा था कि, उसकी पैंट गीली हो गई थी, बच्चे आजतक उसे चिढाते हैं"

अमन धीरे से वैभव को ताक़ीद करते हुए बोला!

अमन इंदिरापुरम के महागुन-मेंशन में रहता था और वैभव उसकी सोसाईटी से कुछ दूर गौर-ग्रीन सिटी  में! दोनों एक ही स्कूल-बस से आते-जाते इसलिए दोनों में दोस्ती हो गई थी!

स्कूल से लौटते वक़्त बस में अमन ने वैभव से पूछा "सच्ची बताओ, मम्मी होस्पिटल में हैं?

"हाँ" कहते हुए वैभव और उदास हो गया,

बात बदलते हुए अमन ने कहा "अच्छा वैभव, अपना सुपरमैन दिखाओ"

वैभव ने झट बैग से सुपरमैन निकाला, दोनों उसे हवा में सुपरमैन की तरह उड़ाने लगे  

 अमन का स्टोपेज आते ही,

गले में वाटर बोतल और बैग पीछे टांगता हुआ अमन वैभव को बाय बोलता हुआ उतर गया!

"हाय मम्मा.." अमन ने इठलाते हुए गेट पर खड़ी मम्मी की ऊँगली पकड़ ली

मम्मी उसका बैग और बोतल उससे लेकर चलते हुए पूछने लगी

"तो कैसा रहा आज का दिन?

"अच्छा था मम्मी, इंग्लिश मैम ने गुड दिया,साईंस टीचर ने "आवर एनवायरनमेंट' पढाया,मैथ्स टीचर ने नीटनेस के लिए डांटा"

"पता है मम्मा, आज ना वैभव को मैथ्स पिरियड में खूब डांट पड़ी,होम वर्क करके नहीं लाया था"

कौन वैभव? वही तुम्हारा नया दोस्त जो "गौर-ग्रीन" में रहता है?

हाँ मम्मा,उसकी मम्मी हॉस्पिटल में एडमिट है!

"ओह ये तो बुरा हुआ, कोई बात नहीं जल्दी ही ठीक हो जायेंगी"

"मम्मा,उसके पास ना, छोटा सा सुपरमैन भी है"

अच्छा!! कहते हुए ममता,अमन के साथ लिफ्ट में दाखिल होगईं

फोर्थ फ्लोर पर लिफ्ट के खुलते ही निक्की की जोर-जोर से रोने की आवाज सुनाई देने लगी! अमन का हाथ छुड़ाकर ममता ने तेजी से फ्लैट का दरवाजा खोला, मेड परेशान सी छे महीने की निक्की को कंधे पर थपकियाँ देते हुए इधर-उधर घूम रही थी!

"ओह्ह, आज फिर जग गई"कहते हुए ममता ने निक्की को गोद में ले लिया,  गोद में आते ही निक्की एकदम चुप हो गई!

 "मम्मा ये आपकी गोदी में आने के लिए जान बूझकर रोती है,अब मुझे ड्रेस खुद ही चेंज करना होगा   "झल्लाते हुए अमन ने कहा!  

उसकी मासूमियत पर हंसती हुई ममता ने मेड से कहा "शांति अमन का ड्रेस चेंज कर के खाना खिला दे तबतक मैं निक्की को खिला दूँ"

रोज की तरह अमन खाना खाकर होमवर्क करने बैठ गया क्यूंकि उसे शाम को अपनी सोसाईटी के बच्चों के साथ खेलना होता फिर अपना फेवरेट कार्टून शो देखता उसके बाद थोड़ी देर निक्की के साथ खेलता फिर डिनर करके सोने जाता!

मम्मा, ये सम नहीं समझ आ रहा"

"रुको, आती हूँ" कहते हुए निक्की को प्रैम में डालकर, अमन के पास आ गई! उसके सम्स स्लोव करवाने  में मदद की!

 और उसका कल का टाइम-टेबल सेट करने लगी,तभी उनकी एक कॉपी पर नज़र गई जिसपर वैभव गुप्ता  3rd-B, मैथ्स होमवर्क कॉपी लिखा था!

 "अमन, वैभव की कॉपी तुम्हारे पास कैसे आगई?

"नहीं तो, मैंने कोई कॉपी नहीं ली उससे" कहते हुए मम्मी के हाथ से कॉपी ले कर देखने लगा,उसे याद आया जब उसकी कॉपी खोलकर देख रहा था तभी इंटरवेल की घंटी बज गई थी जल्दीबाजी में वैभव की कॉपी अपने बैग में रख ली होगी शायद!

"ओह मम्मी अब क्या होगा? उसकी कॉपी में होम-वर्क नहीं होगा तो उसे कल पनिशमेंट मिल जायेगी" अमन बेहद घबराया हुआ था!

ये तो वाकई बुरा हुआ अमन, उसका फोन नंबर है तुम्हारे पास?

"नहीं, मम्मा चलो न उसे कॉपी देकर आयें

 "उसके घर का पता है?"

 गौर-ग्रीन में रहता है, उसने कहा था उसकी बालकनी से स्विमिंग-पूल दीखता है

"अरे ऐसे-कैसे चल दें अमन, नंबर,पता कुछ नहीं मालूम तुम्हे"

तबतक बगल वाले वाले फ्लैट से मिसेस सिन्हा आ गई गपशप करने

"उफ़ अब ये आंटी जल्दी जाने वाली नहीं,इनकी गोसिप ख़तम नहीं होगी"

अमन ने धीरे से चिढ़ते हुए कहा

"अब वैभव कैसे होमवर्क करेगा? वो भी दो दिन का पूरा काम, उफ़ इत्ता सारा होम-वर्क, मैं भी नहीं कर  पाऊंगा, इससे अच्छा है कि, मैं उसे कॉपी खुद ही दे आऊँ,रास्ता तो पता ही है! मम्मा को बताऊंगा तो जायेंगी भी नहीं और न जाने देंगी" मैं झट से उसे देकर आजाता हूँ",

सोचते हुए अमन,वैभव की कॉपी शर्ट के अन्दर डालकर बाहर जाने लगा

अमन को जाते देख मम्मी ने टोका कहाँ जा रहे हो?

"पार्क में"

ठीक है 6 बजे तक आ जाना"

"ओके मम्मा, बाय"

कहते हुए अमन तेजी से घर से निकल कर नीचे पार्क में आ गया! पार्क में उसे उसके दोस्त खेलते हुए दिखे, उन्हें खेलता देखकर, अमन का एकबार मन हुआ कि वैभव को कॉपी देना छोड़ उन सबके साथ खेल ले ...फिर मिस मैथ्यू का भयानक चेहरा अमन के आँखों के सामने घूम गया!

इसके पहले अमन अकेले अपनी सोसाईटी गेट से बाहर भी नहीं गया था, गार्ड भी उसे अकेले जाने नहीं देगा यही सोचते हुए, वो गेट पर पंहुचा ही था कि, उसे अपने ब्लाक के रोहित भईया दिख गए जो अपना बैग लिए गेट के बाहर जा रहे थे!

"रोहित भईया, आप कहाँ जा रहे हो?

हाय अमन, मैं कोचिंग जा रहा हूँ क्यूँ?

मुझे "गौर-ग्रीन" जाना है, क्या आप छोड़ देंगे?,"पास आते हुए अमन ने रोहित की ऊँगली पकड़ ली और साथ चलने लगा!

"पर मैं तो दूसरी तरफ जाऊँगा" रोहित ने कहा

कोई बात नहीं आप मुझे गेट के बाहर छोड़ देना, फिर मैं चला जाऊँगा, रास्ता देखा है मैंने

ओके,फिर चलो ...कहते हुए रोहित उसे गेट के बाहर ले आया....

"थैंक यु रोहित भईया" मुस्कुराते हुए अमन ने कहा और गौर-ग्रीन सिटी की तरफ चलने लगा

खुद को आज बहुत मैच्योर समझ रहा था, उसे लगा वो अकेला बाहर जा सकता है, मम्मा बेकार ही मना करती हैं!

दोनों हाथों से वैभव की कॉपी छाती से चिपकाये पुरजोर हौसले के साथ चला जा रहा था, दुसरो को ये जताना नहीं चाहता था कि, अकेले बाहर की दुनिया में उसका पहला क़दम है,

घनी आबादी वाले इस एरिया में गाड़ियों के कतारें कभी बंद नहीं होती, लोग भी आ जा रहे थे,कुछ दूरी तय करने के बाद उसे गौर-ग्रीन की बिल्डिंग्स दिखाई देने लगी,उसका हौसला और बढ़ गया और तेजी से चलने लगा! 

अब रोड के उसपर  गौरग्रीन का गेट दिखाई दे रहा था, जहाँ से वैभव रोज स्कूल के लिए चढ़ता था,वो खुश हो गया ..सड़क पार करने के लिए इधर-उधर कुछ देखता रहा फिर सामने पान की दूकान के पास खड़े एक आदमी से उसने पूछा,

"अंकल यहाँ ज़ेबरा क्रासिंग किधर है? मुझे रोड क्रोस करनी है"

बच्चे के  इस मासूम सवाल पर दूकानदार और वो शख्स दोनों हंस पड़े

"गुटके का पाउच फाड़ कर गुटका फांकते हुए उस आदमी ने कहा "बेटे यहाँ ज़ेबरा क्रासिंग नहीं है "हंह वैसे भी यहाँ इतना नियम कानून कौन मानता है? मैं रोड पार करा दूँ?"

"थैंकयु अंकल....पर आप ये बताइए के आपके पीछे ही डस्टबिन है फिर भी आपने पाउच ज़मीन पर क्यूँ फेंका?" और पान वाले अंकल आपकी शॉप के आगे कितनी गन्दगी है? आपलोग मेरे स्कूल में होते ना,तो पनिशमेंट मिल जाती"

इतने छोटे बच्चे के मुहं से ऐसी बात सुनकर दोनों सन्न थे, उस आदमी ने तुरंत पाउच उठाकर डस्टबिन में डाल दिया और पानवाला दोनों कान पकड़ कर बोला गलती हो गई बच्चे हम भी स्कूल गए हैं मगर तुम्हारी तरह हमने सबक याद नहीं किया,आगे से साफ़ रखूँगा"

तबतक अमन ने एक औरत को ठेले से सब्जी खरीदकर रोड क्रोस करने के लिए दायें बाएं नज़रे घुमाते देखा,दौड़ कर उसके पास जाकर इशारा करते हुए पूछा "आंटी आप वहां रहती हैं?

"हाँ बेटे"

"मुझे भी वहीँ जाना है क्या आप ले चलेंगी मुझे?

स्योर,कहते हुए उसे रोड क्रोस कर गेट के अन्दर ले आई  

बेटे,आप भी यहीं रहते हो?

"नहीं, मेरा दोस्त यहाँ रहता है उसकी कॉपी देने आया हूँ" अमन ने उस औरत से कहा

ओह, उसका फ्लैट नंबर पता है?

नहीं,उसका नाम वैभव गुप्ता है, स्वीमिंग पूल से उसकी बालकनी दिखती है, प्लीज़ आप स्वीमिंग पूल   बता देंगी किधर है?

"सामने जो पार्क दिख रहा है ना, उसी के लेफ्ट साइड है, मैं सामान घर में रखकर आती हूँ, फिर साथ खोजतें हैं तुम्हारे दोस्त को"

"ओके, थैंकयू आंटी" 

 अमन सीधे पार्क में चला गया वहां खेलते हुए बच्चों में वैभव को खोजने लगा, मगर वैभव उसे कहीं नज़र नहीं आया अलबत्ते स्वीमिंग पूल दिख गया! तेज़ कदमों से चलता हुआ पूल के पास से सभी बालकनियों को देखने लगा! सर चकरा सा गया उसका इतनी सारी बालकनी देखकर, तभी सामने वाले ब्लाक की एक बालकनी में उसके स्कूल की शर्ट तार पर टंगी दिखी,वो खुश होगया यही वैभव का फ्लैट है,तेज़ क़दमो से उस ब्लाक की तरफ बढ़ने लगा के तभी उस बालकनी पर एक लड़की को खड़े देख रुक गया!

"ये तो 5th क्लास वाली दीदी है,"

अमन फिर उदास होगया "जाने कौन सी बालकनी है वैभव की?"

कहते हुए थक कर पूल की सीढ़ी पर बैठ गया! आंटी भी कहीं नज़र नहीं आ रही थी!

सूरज के जाते ही अँधेरे ने भी दस्तक देनी शुरू कर दी थी....अब अमन को डर लगने लगा, अँधेरा होने के पहले घर पहुच जाना चाहिए अभी सोच ही रहा था तबतक उसे मम्मी की चीखती हुई आवाज़ सुनाई दी.... अ..म..न...... सर उठाकर देखा तो मम्मी उसी की तरफ बदहवास भागी आरही थी और पीछे-पीछे सिक्युरिटी गार्डस भी!

अमन को ममता ने सीने से ऐसे चिपटाया जैसे वो अभी-अभी किडनेपर की चंगुलसे  बचकर आया हो

"तुम्हे मना किया था ना...ख़बरदार जो बिना बोले गेट से बाहर क़दम रखा तो,तुम्हे मालूम है मैं कितना डर गई थी? घर चलो"

"मगर मम्मा, वैभव की कॉपी"

कोई बात नहीं उससे सॉरी बोल देना अभी चलो....

अमन उदास मन से घर लौट आया इतनी मेहनत बेकार गई और डांट पड़ी वो अलग....

आज निक्की के साथ खेलने का भी मन नहीं किया

बेमन से खाना खाकर, आँखे बंद किये सोने की कोशिश करने लगा,मगर आँखे बंद करते ही, हाथ में छड़ी लिए मिसेज मेथ्यु और वैभव की सहमी हुई शक्ल कौंध गई,हड़बड़ा कर अमन उठ बैठा!

कमरे की बत्ती जलाई और वैभव की मैथ्स कॉपी निकाल कर होमवर्क करने लगा....

देर रात तक रूमलाइट जलता देख ममता ने चुपके से झाँका  उसे लिखते देख समझ गई...उसका जी चाहा कि उसे खूब प्यार करे पर उसे डिस्टर्ब किये बिना वहां से चली गई!

सुबह मम्मी ने माथा चूमकर जगाया तो अमन झट से उठ गया, आज बहुत खुश था! अपने दोस्त के चेहरे पर ख़ुशी देखने की जल्दी थी उसे!

 अमन इस उम्मीद में था की वैभव आज डरा-सहमा हुआ आएगा मगर वो तो चहकता हुआ बस में चढ़ा, बाल भी कटे संवरे थे आज!

 अमन के बगल में बैठते ही वैभव बोल उठा  

"पता है अमन, मम्मी हॉस्पिटल से आगईं और साथ में मेरी छोटी सी प्यारी सी बहन भी आई है"

अच्छा! अमन भी खुश होते हुए बोला!  

अमन, आओगे घर मेरी बहन को देखने?

 "आऊंगा तब न, जब तुम अपना एड्रेस दोगे,और कल शाम तुम कहाँ थे?" थोड़े शिकायती अंदाज़ में अमन ने कहा! 

बी-ब्लाक, 201 एड्रेस है, और मैं शाम को मम्मी को लेने गया था?

"ओके"

क्लास में दाखिल होते ही वैभव के चेहरे पर हलकी घबराहट दिखने लगी थी

पहला... दुसरा... तीसरा...चौथे  पीरियड की घंटी बजते ही वैभव की शक्ल पर हवाइयां उड़नी शुरू हो गई थी!  आज तो उसे सबके सामने बेंचपर खड़ा होना पड़ेगा! अमन कनखियों से उसके हाव-भाव देखकर खुश हो रहा था! इसीबीच उसने मौका देख वैभव की कॉपी उसके बैग में डाल दी!

 मिस मैथ्यू के क्लास में घुसते ही, सारे क्लास में पिनड्राप साइलेंस छा गया...

 "ओपन योर होम-वर्क चिल्ड्रेन"

बोलने भर की देर थी, कि सभीकी कॉपियां डेस्क पर खुल गईं, वैभव ने भी कॉपी निकाल कर डेस्क पर रख दिया, मगर कॉपी खोलने की हिम्मत नहीं हुई!

जैसे-जैसे मिस मेथ्यु कॉपी चेक करती जा रही थी, वैभव की धडकनें उतनी ही तेज़ होती जा रही थी

अमन की बारी आते ही उसने अपनी कॉपी मिस को थमा दी.

"गुड वर्क अमन" कहते हुए मिस ने अमन को कॉपी लौटाइ और वैभव की ओर घूरते हुए कहा!

"वैभव कॉपी दिखाओ,"

 मिस की तेज़ आवाज़ सुनकर काँपता हुआ वैभव खड़ा हो गया मगर कॉपी देने की हिम्मत नहीं हुई, अमन ने झट उसकी कॉपी खोलकर मिस को पकड़ा दी!

मिस मैथ्यू, कभी कॉपी को देखती, कभी वैभव को

"गुड वैभव, तुमने दोनों होमवर्क नीटली कम्प्लीट किया है"

एक स्टार देकर कॉपी देते हुए वैभव की हेयर-कटिंग पर नज़र डाली और आगे बढ़ गई!

वैभव को लगा जैसे कोई सपना हो, आँखें फाड़े कॉपी खोलकर देखने लगा....तसल्ली होने के बाद उसने एक नज़र अमन को देखा, हैंडराइटिंग और उसके चेहरे की मुस्कुराहट देखकर सब समझ गया!

"थैंक यू अमन,तुमने मुझे पनिशमेंट से बचा लिया" वैभव प्यार से अमन के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला!

इस वक़्त अमन को हीरो वाली फीलिंग हो रही थी!

इंटरवेल में वैभव बैग से सुपरमैन निकालकर अमन को देते हुए बोला" लो अमन ये सुपरमैन अब तुम्हारा है"

वाओ सच्ची? पर ये तो तुम्हारा है ना? अमन ने कहा                       

"मेरा सुपरमैन तो तुम हो अमन"

दोनों अपने सुपरमैन को पाकर आज बहुत खुश थे!

                                                  

 

 

 

 

  

 

 

 

 

 

 

 

 

Wednesday, July 6, 2016

"आयतें "

मेरी बेपनाह परस्तिश 
गढ़ने लगी है अब 
ऊँची दर ऊँची 
शीशे की इबादतगाह 
जहाँ न कोई बुत है

न कोई मौलवी..... न कोई पंडित 
सिर्फ औ सिर्फ ...'हम' और 'तुम' 
जिनकी दीवारों,छत,खिडकियों से आर-पार 
मैं तुम्हे औ तुम मुझे शफ्फाफ देख पाओ 
हमारे दरमियां कोई राज़ न रहे 
जो कभी गुम भी हो जाओ 
तो मैं.... तुम्हे 
बंद आँखों की रौशनी में भी ढूंढ लूं 
गोया इस बात से बेखबर 
कि हक़ीकत की आंधी में 
ऊँची इमारतें खतरे में रहती हैं 
किसी रोज ऐसा होने पर 
ज़मीं पे बिखरी मुक़द्दस कीरचें 
जिन्हें बुहारना लाज़िम नहीं 
उन्हें जब उँगलियों से चुनती हूँ 
तो उन पोरों पर रिस आतीं है तमाम बूँदें 
जो ज़मीं पे टपके ....उसके पहले ही 
मेरे लब..... उसे चूम कर सोख लेते हैं 
जो भीतर कहीं गहरे जाकर 
रौशनाई बन ...
रूह कि सतह पर 
आयतें बन उभर आती हैं ..................!!!!!!!!

~S-roz~
शफ्फाफ=clear
रौशनाई = ink
परस्तिश=worship
आयत =holy sentence or mark

Monday, June 27, 2016

ग़ज़ल

बरसा तो खूब जम कर शब भर पानी
फिर भी तिश्नगी लब पर छोड़ गया है

गुल पत्ते बूटे शाख शजर हैरां हैरां से
ये कौन हमें बे मौसम झिंझोड़ गया है

बिछड़े पत्ते फिर न बैठ पायेंगे शाखों पे
ठीकरा इसका गैरों के सर फोड़ गया है 

दिल के गर्द-ओ-गुबार यूँ उड़ते नहीं देखे
गोया कारवां भी रुख अपना मोड़ गया है
s-roz

Sunday, June 26, 2016

पंपोर हमले में शहीद हुए वीर सपूतों को नम आँखों से भावभीनी श्रद्धांजलि ...

साथी ......
जब मुझको घर ले जाओगे 
जाहिर है 
माँ का सीना छलनी होगा 
मेरी वर्दी से उसका सीना ढक देना

जब वो 
अपना सिन्दूर पोछेगी 
मेरे खत 
उसके हाथों पर धर देना

वो नन्हा 
हौले से मेरी ताबूत खोलेगा 
'पापा को नींद जगाओ मम्मी' वो बोलेगा 
उस नन्हे के सर पे 
मेरी टोपी रख देना

देखना उनको 
फिर इतनी हिम्मत आ जाएगी 
इक माँ फिर अपने बच्चे को 
वीर सैनिक बना पायेगी !!!
....s-roz

Thursday, June 23, 2016

ग़ज़ल

रात ख़ामोश लोरी सुनाने लगी
ऐ ख़्वाब ठहर नींद आने लगी


तस्सवुर की तितली सपनों आ
मेरे नग़मों में रंग सजाने लगी


चंद्रमा के आईने में चाँदनी मुझे
तेरा मासूम अक्स दिखाने लगी


उसे छूकर इधर जो आई पवन
कानों में सरगम गुनगुनाने लगी


रेज़ा रेज़ा महकती हूँ तेरी महक
ले गमक तेरी मुझमे सामने लगी 

S-roz

Sunday, April 24, 2016

पहर रात का तीसरा है

पहर रात का तीसरा है
मैं अपने जिस्म के बाहर खड़ी हूँ
भीतर इक अंधा कुआं है
जिसपर मैं डोल डालती हूँ
मेरी सांसों की रास
उसकी जानिब से 
ऊपर नीचे आ जा रही है
मैं उसको बाहर खींचती हूँ 
वो मुझको भीतर खींचता है
इसी तसलसुल में ....
मेरी नींद खुलती है या के लगती है 
मुझे........
इसका भी इल्म नहीं......
पहर रात का तीसरा है ।

Saturday, April 23, 2016

"मैं पानी पानी"

मैं पानी पानी
फितरत मेरी बहते रहना
प्यास में सबके तिरते रहना

तू पत्थर है ....
खुद को खुदा कहते रहना
हालात से मेरे न वाफ़िक़ रहना

अज़ल से तू ठहरा है मुझमे
जाने कितना गहरा है मुझमे 
तब से तुझको घोल रही हूँ
ढल जा मुझमे बोल रही हूँ
पर तू पत्थर है 
पत्थर ही ठहरा
परबत मैदां साहिल सहरा
सबसे तेरा मेल है गहरा 
सूरज की किरनों में चमके 
चकमक तेरा रूप सुनहरा

मैं पानी पानी 
फ़ितरत मेरी बहते रहना 
सबकी प्यास में तिरते रहना

पर ये तो तय है 
वक़्त के बहते झरने में 
इक दिन ......
धार से मेरी
तू घुल जाएगा 
पर अफ़सोस..... 
तब मैं सर्द हो जाउंगी
देखना मैं बर्फ हो जाउंगी ।

Sunday, April 17, 2016

बैसाख आने को है

                       

चैत में चित पड़ीं हुई हैं ज़र्द पत्तियां

शाखों पर सब्ज़ कोपलें

ले रही हैं अंगड़ाइयां

बिरहन हवा के आंचल में

क़ैद हुए ज़र्द पत्ते

शोर-ओ-गुल में मुब्तला हैं

शायद अपने आखिरी अंजाम से डरते हैं

उन्हें अब हवा की ज़द में ही

सोना और जगना है

अपने दर्द को ज़ब्त कर

सर्द रातों में सुलगना है

सूरज के सुनहले गेसू

हर जगह तारी है

हवा औ सूरज में

कानाफूसी जारी है

जो हौले से

मेरे कानों को जतलाता है 

बैसाख आने को है

ये बतलाता है                       

बैसाख के अंगने में

गेहूं की बालियाँ

पककर सुनहली हो चलीं हैं ....

वाक़ई ! बाज़ार में

ये बालियाँ सोने की हो जायेंगी

ललचाता सा मेरा किसान दिल

हिदायती लह्ज़े में मुझसे कहता है

"रोज़! सहेज लेना सोने की बालियाँ

बेटी के ब्याह को काम आएँगी !

 

 

 

 

 

 

Saturday, April 2, 2016

वसीयत

तुम्हे........ मैं
जो कभी...... न मिलूं 
तो गम न करना 
माना, तुमको अज़ीयत होगी 
तुमसे रुबरु मेरी हकीक़त होगी 

ये जिस्म जो फ़ानी है 
बे-मुरव्वत ज़िन्दगी की 
नामुराद कहानी है 
तब .......तुम्हे .........मैं 
उन्ही किताबों में मिलूंगी 
जहाँ.......... 
तुमसे लबरेज़ मेरे लफ्ज़ 
नज्मों की शक्ल में 
सांस लेते हैं 
लफ़्ज़ों से गुफ्तगू करते-करते 
जो तुम्हे नींद आ जाए 
तो अपने सीने पर
किताब रख 
सो जाना 
तुम पाओगे कि, 
इससे करीबतर 
हम और तुम 
कभी और कहीं 
रहे ही नहीं !
...............................................बस इत्ती सी है मेरी वसीयत !