"गर एक चिंगारी उठे तो, तो भभक उठती हैं , सियासत-ए-हस्तियाँ
और टूट कर पानी बरसे ,तो कहते हैं ,देखो! ढह रही हैं बस्तियां "
और टूट कर पानी बरसे ,तो कहते हैं ,देखो! ढह रही हैं बस्तियां "
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अभी हाल ही में दिल्ली के लक्ष्मी नगर इलाके में जो हादसा हुआ यदि उस अवैध निर्माण को पहले ही रोका गया होता तो इतनी निर्दोष जाने जो गई हैं वो न जातीं ...मेरी .श्रधांजलि है उन्हें............
सरोज जी,
ReplyDeleteआपके जज्बे को सलाम|