अधूरे ख्वाब
"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "
डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएंविस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....
मेरे एक मित्र जो गैर सरकारी संगठनो में कार्यरत हैं के कहने पर एक नया ब्लॉग सुरु किया है जिसमें सामाजिक समस्याओं जैसे वेश्यावृत्ति , मानव तस्करी, बाल मजदूरी जैसे मुद्दों को उठाया जायेगा | आप लोगों का सहयोग और सुझाव अपेक्षित है |
ReplyDeletehttp://samajik2010.blogspot.com/2010/11/blog-post.html
सरोज जी,
ReplyDeleteमेरी नज़र में आपके ब्लॉग की अब तक की सबसे बेहतरीन पोस्ट......सिर्फ एक लफ्ज़ कहूँगा.......सुभानाल्लाह....कितना सच कह दिया है आपने कितने कम और सरल शब्दों में....खुदा आपको महफूज़ रखे.....आमीन