वो कौन है जो
घने अँधेरे में
गुमसुम सा
ख़ामोश सदा देता है
सिलसिला लम्हों का
सदियों सा बना देता है
वो कौन है जो
मेरी सहमी हुई
साँसों की रास
थामे हुए चल रहा है
उससे मिलने को मगर
मन मचल रहा है
वो कौन है जो
अपने ना होने पर भी
अपना वजूद
थमा देता है
हर इक अक्स पर
नक़्श अपना जमा देता है
जाने किस सम्त से
हवा बह कर आई है
मेरे कानो में फुसफुसाई है
वो तो तेरी जाँ भी नहीं
उसके मिलने का
इम्काँ भी नहीं
सुनकर, मेरे
पलकों की सलीबो पर
झूलने लगते हैं ख़्वाब
चांदनी नींद को
लोरी गा के सुला देती है
रातें बिस्तर पर
कांटे उगा देती है
और नींद .....नींद से उठकर
मुझे सुलाने, आती नहीं
... आती ही नहीं !
~s-roz~
इम्काँ = संभावना
घने अँधेरे में
गुमसुम सा
ख़ामोश सदा देता है
सिलसिला लम्हों का
सदियों सा बना देता है
वो कौन है जो
मेरी सहमी हुई
साँसों की रास
थामे हुए चल रहा है
उससे मिलने को मगर
मन मचल रहा है
वो कौन है जो
अपने ना होने पर भी
अपना वजूद
थमा देता है
हर इक अक्स पर
नक़्श अपना जमा देता है
जाने किस सम्त से
हवा बह कर आई है
मेरे कानो में फुसफुसाई है
वो तो तेरी जाँ भी नहीं
उसके मिलने का
इम्काँ भी नहीं
सुनकर, मेरे
पलकों की सलीबो पर
झूलने लगते हैं ख़्वाब
चांदनी नींद को
लोरी गा के सुला देती है
रातें बिस्तर पर
कांटे उगा देती है
और नींद .....नींद से उठकर
मुझे सुलाने, आती नहीं
... आती ही नहीं !
~s-roz~
इम्काँ = संभावना
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