तक़लीफ़ की सिलवटें
वक़्त की इस्त्री
मिटा तो देती है,
मगर..... कम्बख़त
वक़्त बहुत लेती है
आपके अपने
इसे दूर करना चाहते हैं
पर अपनी तकलीफ़
निहायत अपनी होती है
ऐसे में ख्याल यही कहता है के
अपनों से भरी दुनिया में
आपका का
अपने सिवा
अपना कोई नहीं होता !
~स-रोज़~
वक़्त की इस्त्री
मिटा तो देती है,
मगर..... कम्बख़त
वक़्त बहुत लेती है
आपके अपने
इसे दूर करना चाहते हैं
पर अपनी तकलीफ़
निहायत अपनी होती है
ऐसे में ख्याल यही कहता है के
अपनों से भरी दुनिया में
आपका का
अपने सिवा
अपना कोई नहीं होता !
~स-रोज़~
भाव पूर्ण अभिव्यक्ति ... ये भी एक दृष्टिकोण है ...
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया दिगंबर जी
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