अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Tuesday, February 22, 2011

जोगीरा सा रा रा रा ...

 ना बच्चे ना बेंच  
"ना-पट्टी ना शौचालय
ऐसा है देश का प्राथमिक विद्यालय
होए जोगीरा सा रा रा रा...
.
"मध्यान भोजन!!
लाभकारी आयोजन
शिक्षा से दूरी सौ योजन 
होए जोगीरा सा रा रा रा...
.
"देश कि प्रगति दिन दुनी रात चौगुनी बढ़ी है
महंगाई कि समस्या
मुह बाए खड़ी है
होए जोगीरा सा रा रा रा
.
"मेल ,मुहब्बत सादगी
 मस्ती धूम धमाल
सारे जेवर लुट गए गाँव हुआ कंगाल 
होय जोगीरा सा रा रा रा ....... 
.
कौवा भी बोल रहा कोयल कि बोली
हंसों पर हावी है बगुलों  कि टोली
नेताओं और चोरों का एक सा अंदाज़
होए जोगीरा सा रा रा रा
.
उत्तर प्रदेश में
अँधेरा छाया है
क्या करे माया का साया है ...:)
होय जोगीरा सा रा रा रा
.
अन्धो के इल्जास में गूंगों पर अभियोग
और फैसला लिख रहे ,बिना कान के लोग 
होय जोगीरा सा रा रा रा ...
~~~S-ROZ ~~~
 

5 comments:

  1. वाह सरोज जी ... बहुत जबरदस्त कटाक्ष किया है आपने आज के समय की व्यवस्था पर ... सटीक और ठोस ........ बहुत अछे .... लिखती रहिये

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  2. आप के समय एवं उत्साहवर्धन का आभार !!!!!!!मित्रों

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