रात ख़ामोश लोरी सुनाने लगी
ऐ ख़्वाब ठहर नींद आने लगी
तस्सवुर की तितली सपनों आ
मेरे नग़मों में रंग सजाने लगी
चंद्रमा के आईने में चाँदनी मुझे
तेरा मासूम अक्स दिखाने लगी
उसे छूकर इधर जो आई पवन
कानों में सरगम गुनगुनाने लगी
रेज़ा रेज़ा महकती हूँ तेरी महक
ले गमक तेरी मुझमे सामने लगी
S-roz
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