अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Friday, August 23, 2013

"रोटी और शौक़"

ख़ुशक़िस्मत हैं वो
जिन्हें उनका शौक़
उन्हें रोटी देता है
वरना मैंने तो
रोटी को ..........
शौक़ का ज़िबह करते ही देखा है
दरअस्ल दोनों का नशा
सर चढ़ कर बोलता है
एक का ख़ात्मा होने पर जिस्म मरता है
और ................
दुसरे के खत्म होने पर
मरती है रूह !
~s-roz~

No comments:

Post a Comment