अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Friday, September 10, 2010

" ये जिन्दगी"

गर्म रेत पर नंगे पावं चलने की जलन और दर्द सहने को विवश कराती  है,
ये जिन्दगी ........! 
किसी मोड पर  खुशी के फूल सी  सहलाती  तो कभी गम के काँटों  सी चुभती है,  
ये  जिन्दगी..........,!
कभी हमसफ़र के साथ् तो  कभी तन्हा  घुमाओदार  रास्तों  से गुजरती है,
ये  जिन्दगी ...........!
उलझे कटीले तारों से सिमटी ,खुद के बोझ से लदी,खिसकती जाती है ,
ये जिन्दगी........... !
कभी सुरज की तपिश तो कभी  चाँद  की शितलता का एहसास कराती  है ,
ये जिन्दगी ..........!
इन्सनियत के कफन मे लिपटी , अपने कई रिश्तों को  निभाती  है ,
ये जिन्दगी .........!
रिश्ते, वफा, दोस्ती,सब होते हुए भी किसी खालीपन  का एहसास कराती   है , 
ये जिन्दगी .............!
खुदा है और नही भी ,इन् सवालों से घिरी आसमा मे धरती सी समाती है
ये जिन्दगी...........!
कई रंग दिखाती इस जिंदगी को क्या नाम दें?  ,बड़ी जिंदगी सी नज़र आती है
ये ज़िन्दगी ..........!
 
 

3 comments:

  1. खुबसूरत अहेसास है

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  2. ati sundar ............achchha lagaa padhkar ........badhai

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  3. अहसासों को लफ्जों में अच्छी तरह से पिरोया है.......हर किसी का जिंदगी के लिए अलग नजरिया है .........हम जो सोचते हैं , वही हो जाते हैं.........जिंदगी क्या है ये इस बात पर निर्भर करता है की आप इसको किस नज़रिए से देखते हैं ..........शुभकामनाये |

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