गर्म रेत पर नंगे पावं चलने की जलन और दर्द सहने को विवश कराती है,
ये जिन्दगी ........!
किसी मोड पर खुशी के फूल सी सहलाती तो कभी गम के काँटों सी चुभती है,
किसी मोड पर खुशी के फूल सी सहलाती तो कभी गम के काँटों सी चुभती है,
ये जिन्दगी..........,!
कभी हमसफ़र के साथ् तो कभी तन्हा घुमाओदार रास्तों से गुजरती है,
ये जिन्दगी ...........!
उलझे कटीले तारों से सिमटी ,खुद के बोझ से लदी,खिसकती जाती है ,
ये जिन्दगी........... !
कभी सुरज की तपिश तो कभी चाँद की शितलता का एहसास कराती है ,
ये जिन्दगी ..........!
इन्सनियत के कफन मे लिपटी , अपने कई रिश्तों को निभाती है ,
ये जिन्दगी .........!
रिश्ते, वफा, दोस्ती,सब होते हुए भी किसी खालीपन का एहसास कराती है ,
ये जिन्दगी .............!
खुदा है और नही भी ,इन् सवालों से घिरी आसमा मे धरती सी समाती है
ये जिन्दगी...........!
कई रंग दिखाती इस जिंदगी को क्या नाम दें? ,बड़ी जिंदगी सी नज़र आती है
ये ज़िन्दगी ..........!
खुबसूरत अहेसास है
ReplyDeleteati sundar ............achchha lagaa padhkar ........badhai
ReplyDeleteअहसासों को लफ्जों में अच्छी तरह से पिरोया है.......हर किसी का जिंदगी के लिए अलग नजरिया है .........हम जो सोचते हैं , वही हो जाते हैं.........जिंदगी क्या है ये इस बात पर निर्भर करता है की आप इसको किस नज़रिए से देखते हैं ..........शुभकामनाये |
ReplyDeleteकभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए-
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