कल से कल तक, तुम तो, गरज बरसकर खुल जाओगे
बिन मौसम बरसात में,जाने मेरा क्या क्या बह जायेगा !
रुपहले ख्वाब जो मेरे दामन से बह निकले कल सैलाब में
जो गया सो गया,फिर भी,उन् यादों का काफिला रह जायेगा !
दर्द देने के तुमने भी तरीके कम नहीं आजमायें हैं मुझपे
खैर,औरों की तरह ये दर्द भी शौक़ से मेरा दिल सह जायेगा !
~s-roz~
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