चिड़ियों से पूछा है मैंने ,कुछ ठौर ठिकाना तिनकों का
कुछ तिनके मैं चुन लाऊँगी,उन तिनकों को तुम बुन देना
इक ख्वाब संजोया है मैंने ,कभी वक़्त मिले तो सुन लेना
सच्चा है या झूठा है ,तुम खुद ही इसे गुन लेना.....!
होगी विश्वास की इक खिड़की,तकरार की मीठी सी झिड़की
किवाड़ प्रेम की मैं लगवा दूंगी,निवाड़ नेह की तुम बुन लेना
इक ख्वाब संजोया है मैंने,कभी वक़्त मिले तो सुन लेना
सच्चा है या झूठा है,तुम खुद ही इसे गुन लेना.....!
घर में उजाला करने को मैं सूरज की रेज़े ले आउंगी
चंदा की चिरौरी करके तुम,चाँदनी की उजास ले लेना
इक ख्वाब संजोया है मैंने,कभी वक़्त मिले तो सुन लेना
सच्चा है या झूठा है,तुम खुद ही इसे गुन लेना....!
घर को और सजाने को,अरमानो के झालर लटकाऊंगी
आँगन का अंधियारा मिटाने को,तुम बन से जुगनू ले लेना
इक ख्वाब संजोया है मैंने,कभी वक़्त मिले तो सुन लेना
सच्चा है या झूठा है,तुम खुद ही इसे गुन लेना.....!
वाह ... बहुत खूबसूरत ख्वाब
ReplyDeleteआभार संगीता जी !
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