अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Friday, February 11, 2011

"तहरीर "

"सभी सिली तीलियाँ लिए बैठे है ..
इंतज़ार में  उस तेज़  धूप कि किरण का
 जो चली है मिस्र से अभी "
~~~S-ROZ~~~
 
फिर चुके दिन तानाशाहों के, आवाम को इतना मजलूम न कहिये
पर .......
जम्हूरियत में भी जीने को तरसते लोग,उसकी सूरत को क्या कहिये?
~~~S-ROZ~~~
 
"देखना बाँध उनके सब्र का ना बह चले
जो छेड़ा जिक्र रोटी का फाकाकशों के सामने"
~~~S-ROZ~~~
 
"रुकते नही अब हम सड़कों के हादसे देख
जम सा गया है मेरा ज़मीर भी कुछ
सड़क पर जमे उस खूँ की तरह "
~~~S-ROZ~~~
 
"काश के फिर चले वो हवाएं पूरब की,
वो सोंधी खुशबु जो आती थी हर एक गाँव से
अब तो डर है के मिट ना जाए,
हमारी तहज़ीब-ओ-तमद्दुन पश्चमी हवाओं के दबाव से"
~~~S-ROZ ~~~
...तहज़ीब-ओ-तमद्दुन =सभ्यता एवं संस्कृति

7 comments:

  1. वाह सरोज जी....बहुत खूबसूरत शेर हैं....तीसरा और चौथा शेर तो बहुत ही अच्छा लगा......बहुत खूब|

    ReplyDelete
  2. वाह ! सरोज जी,
    हर शेर दिल को छू गया !
    पढ़ते हुए मैंने तूफ़ान को महसूस किया !
    मेरी बधाई स्वीकार करें !

    ReplyDelete
  3. इमरान अंसारी जी@एवं ज्ञान चंद जी आप दोनों का स्वागत एवं बहुत बहुत शुक्रिया हौसला अफजाई के लिए

    ReplyDelete
  4. हर शेर लाजवाब और बेमिसाल ..

    ReplyDelete
  5. नौजवान भारत समाचार पत्र
    सभी साथियो को सूचित किया जाता है कि हमने एक खोज शुरू की है युवा प्रतिभाओं की। जिसमें हम देश की उपेक्षित युवा प्रतिभाओं को आगे लाना चाहते है। जो युवा प्रतिभा इस में भाग लेना चाहते हो वो अपनी रचना इस ई मेल पर भेजें 


    noujawanbharat@gmail.com

    noujawanbharat@yahoo.in



    contect no. 097825-54044

    090241-119668:48 PM

    ReplyDelete
  6. saare sher achchhe hain...ab follow kar raha hon, aage bhi aaunga...

    ReplyDelete
  7. संजय जी@/हेमू जी@./मुकेश जी @/आप सभी की अनमोल टिप्पणियों के लिए आप सभी का ह्रदय से आभार !!!!

    ReplyDelete