अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Sunday, February 5, 2012

"टूटी हुयी मूरत "

एक ढेले की मिटटी लेकर
बेमानी को मानी देकर
बना डाली,मूरत प्यार की
मुक़द्दस दिल में उसे बसाया भी
बड़ी शिद्दत से उसे पूजा भी
जाने कैसे तो .........
बीती शब् की आंधी में
कुछ तो टूटा उसका
दिल था शायद .............
हो सके तो उसे
दरिया में दफना देना
क्यूंकि,.....टूटी हुयी मूरत !
इबादत के काबिल नहीं होती !
~~~S-ROZ~~~

2 comments:

  1. टूटी हुई चीज़ों को..कौन रखता है.

    ReplyDelete
  2. हेल्लो माँ जय ॐ साईं राम जी मन आप को फसबूक पैर देका था पैर मेरी ईद माँ कुछ प्रोब था इसलिय मन आप को या रेपली किया हा मेरी ईद हा फसबूक की ओम्स्र्म११@रेदिफ्फ्मैल.कॉम प्लस अदद में

    ReplyDelete