अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Wednesday, July 27, 2011

तुम्हारे 'शब्द'

काश 'तुम' अपने अहम् के अधीन  न होते
मेरे  'शब्द' तुम्हारे लिए महत्वहीन न होते
अब तो हमने आँसुओं का खारा सागर पी लिया है
बीता, तपता रेगिस्तान  सा  'समय'   जी लिया है
अब आए हुए तुम्हारे  'शब्द' मेरे लिए भावहीन है
शायद अब 'हम' भी अपने अहम् के अधीन हैं
~~~S-ROZ~~~

Saturday, July 23, 2011

"प्रेम चुनौती है"

 वर्षों करती आई मैं,
पूजा,अर्चना.उपासना
उच्चारण मन्त्रों का
विचारण तंत्रों का
किन्तु ना मिटा शंशय मन का
वह भाव ना जगा,अपनापन का
फिर कहीं पढ़ा मैंने "प्रेम चुनौती है"
वह पाषाण है,जिसे सीढ़ी बना लो
तो पा जाओगे उस"परमानन्द को !
कितना सच है ना ..!
मंदिर,मस्जिद,चर्च और गुरूद्वारे ..
यह सब तो बाहरी आयोजन है
मन बहलाने का मात्र प्रयोजन है
वह पिंजरा है ... जिसका पंछी
वहां नहीं, हमारे भीतर बसता है
उसे केवल हमारा प्रेम ही रसता है
~~~S-ROZ ~~


Friday, July 15, 2011

"किस बात का रोना है"

तुम जो कहते हो मै "फूल" हूँ
दो दिन में 'झर' जाउंगी
हाँ, मै 'फूल' हूँ
दो दिन में 'झर' जाउंगी
पर जाने से पहले खुशबु बन
फिजाओं में बिखर जाउंगी
तुम जो 'शाख' हो
तुम किधर जाओगे
सूखने के बाद
चिताओं में 'राख' हो जाओगे
राख तुम्हे भी होना है
खाक मुझे भी होना है
तो प्यारे .......
फिर किस बात का रोना है ....:)
~~~S-ROZ~~~

Wednesday, July 13, 2011

या रब! तेरी! इश्क की दुनिया

या रब! 
या रब! तेरी !!
इश्क की दुनिया
जितनी दिखती है
उतनी आसां है नहीं
इसकी बसती है बसी
बेहद ऊँचे कहीं ...
बसना वहां,हर किसी के
बस की बात नहीं
उसकी चाह में ए यार
हम वहां तक पहुचे
पता ही ना चला हमें
हम कहाँ तक पहुचे .
~~~S-ROZ~~~

Friday, July 8, 2011

"संबंधों का व्याकरण "

"मैं और तुम"
इन "सर्वनामों" के मध्य
व्याप्त है हमारे अपने "विशेषण"
जिन्हें हम बदलना नहीं चाहते
और ढूंढ़ते रहते हैं
जीवन की उपयुक्त "संज्ञा" !!!!
~~~S-ROZ~~~

Saturday, July 2, 2011

"काश के ऐसा होता कभी "

काश के ऐसा होता कभी
सपनो से चलता हुआ
आ जाता अपना वही
उसके प्यार कि खुशबु.....!
सांसों में बसी है अभी
लगता है जैसे,सब्जे में
मोगरे से लिपटा खड़ा है यहीं
जैसे लॉन में शमा जलाकर
रख गया है कोई ....!
काश के ऐसा होता कभी
लौ सा जलता हुआ . ..!
दिल कि तारीकी मिटाने
वो! आ जाता अभी .......!
~~~S-ROZ~~~