पूजा,अर्चना.उपासना
उच्चारण मन्त्रों का
विचारण तंत्रों का
किन्तु ना मिटा शंशय मन का
वह भाव ना जगा,अपनापन का
फिर कहीं पढ़ा मैंने "प्रेम चुनौती है"
वह पाषाण है,जिसे सीढ़ी बना लो
तो पा जाओगे उस"परमानन्द को !
कितना सच है ना ..!
कितना सच है ना ..!
मंदिर,मस्जिद,चर्च और गुरूद्वारे ..
यह सब तो बाहरी आयोजन है
मन बहलाने का मात्र प्रयोजन है
वह पिंजरा है ... जिसका पंछी
वहां नहीं, हमारे भीतर बसता है
उसे केवल हमारा प्रेम ही रसता है
~~~S-ROZ ~~
यह सब तो बाहरी आयोजन है
मन बहलाने का मात्र प्रयोजन है
वह पिंजरा है ... जिसका पंछी
वहां नहीं, हमारे भीतर बसता है
उसे केवल हमारा प्रेम ही रसता है
~~~S-ROZ ~~
एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब
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