अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Saturday, July 23, 2011

"प्रेम चुनौती है"

 वर्षों करती आई मैं,
पूजा,अर्चना.उपासना
उच्चारण मन्त्रों का
विचारण तंत्रों का
किन्तु ना मिटा शंशय मन का
वह भाव ना जगा,अपनापन का
फिर कहीं पढ़ा मैंने "प्रेम चुनौती है"
वह पाषाण है,जिसे सीढ़ी बना लो
तो पा जाओगे उस"परमानन्द को !
कितना सच है ना ..!
मंदिर,मस्जिद,चर्च और गुरूद्वारे ..
यह सब तो बाहरी आयोजन है
मन बहलाने का मात्र प्रयोजन है
वह पिंजरा है ... जिसका पंछी
वहां नहीं, हमारे भीतर बसता है
उसे केवल हमारा प्रेम ही रसता है
~~~S-ROZ ~~


1 comment:

  1. एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब

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