अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Saturday, May 7, 2011

"माँ की खुशबु "("मातृ दिवस "पर सभी मित्रों को शुभकामनायें )


'पीहर' आते  ही,'माँ' जब तू  गले लगाती है  
अपने हाथों से जब तू कौर बना खिलाती है  
तुझसे 'माँ' वही पहचानी  सी  खुशबु आती है
नए घड़े  के पानी से जैसे सोंधी खुशबु आती है "
~~~S-ROZ ~~~
 

8 comments:

  1. मदर्स डे पर उम्दा प्रस्तुती! बधाई!

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  2. हृदयस्पर्शी पंक्तियाँ हैं..... शुभकामनायें आपको भी

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  3. माँ तो सबसे अच्छी होती है.....हैप्पी मदर्स डे

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  4. मां तो मां होती है.

    सुन्दर अहसास

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  5. @sanjay ji,/@Monika ji/@Chaitanya sharama ji/@arun ji /bahut bahut shukriya !!

    "वो आया है,शहर से कमाकर,
    जवानी को पसीने में गवांकर
    बीवी बच्चे उसका साजो सामां देखते हैं,
    एक माँ है! जो कहती है"
    कितना कमज़ोर हो गया है रे तू .?
    ...~~~S-ROZ~~~
    (मातृ दिवस पर सभी मित्रों को शुभकामनायें )

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  6. मातृदिवस की शुभकामनाएँ!

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  7. सरोज जी,अति सुन्दर एवं मर्म स्पृशी पंक्तिया ..

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  8. सरोज जी,अति सुन्दर एवं मर्म स्पृशी पंक्तिया ..

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