परिंदों से पूछा है मैंने ठौर ठिकाना तिनकों का प्यार का आशियाँ बनाने को कुछ तिनके तुम ले आना इक ख्वाब संजोया है मैंने ,कभी वक़्त मिले तो सुन लेना सच्ची है या झूठी है ,तुम खुद ही इसे गुन लेना..... जिसमे नेह की निवाड़ होगी प्रेम की किवाड़ होगी होगी विश्वास की इक खिड़की और होगी मीठी तकरार की झिडकी इक ख्वाब संजोया है मैंने,कभी वक़्त मिले तो सुन लेना सच्ची है या झूठी है,तुम खुद ही इसे गुन लेना..... घर में उजाला करने को सूरज की रेज़े ले आउंगी चंदा की चिरौरी करके तुम चांदनी को घर ले आना इक ख्वाब संजोया है मैंने,कभी वक़्त मिले तो सुन लेना सच्ची है या झूठी है,तुम खुद ही इसे गुन लेना घर को और सजाने को अरमानो के झालर लटकाऊंगी आँगन की तारीकी मिटाने को तुम बन से जुगनू ले आना इक ख्वाब संजोया है मैंने,कभी वक़्त मिले तो सुन लेना सच्ची है या झूठी है,तुम खुद ही इसे गुन लेना.....
"दरकिनार कर चेहरे की उदास परतों को तुम जो हस दो एकबार मेरे लफ़्ज जाग उठे नज़्म भी साँस लेने लगे धड़क उठे ग़ज़लों के दिल सफ़्हा दर सफ़्हा किरदार जी उठे हर्फ़ों को मानी मिल जाये तुम जो हस दो एकबार ....... ~~~S-ROZ ~~~