अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Saturday, March 19, 2011

"रंग दूँ "


प्रीत का पीला, नेह का नीला
हर्ष का हरा,लावण्य की लाली
प्रेम के जल में हमने मिला ली
उस रंग से मै खुद को रंग दूँ
इसको रंग दूँ उसको रंग दूँ
अगहन रंग दूँ फागुन रंग दूँ
कार्तिक रंग दूँ सावन रंग दूँ
डगर रंग दूँ , पहर रंग दूँ
गावं रंग दूँ , शहर रंग दूँ
ये घर रंग दूँ वो घर रंग दूँ
आँगन रंग दूँ दामन रंग दूँ
मज़हब रंग दूँ सरहद रंग दूँ
मंदिर रंग दूँ मस्जिद रंग दूँ
आतम रंग दूँ मातम रंग दूँ
प्रेम के इस मनभावन रंग से
रुत के हर शय को ऐसो रंग दूँ
के मैं "मैं" ना रहूँ तू"तू" ना रहे
~~~S-ROZ~~~

2 comments:

  1. सुभानाल्लाह......खुदा इस सारे जहाँ को मुहब्बत के रंग से रंग दे......

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  2. बहुत बहुत शुक्रिया इमरान जी

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