अंदाज़ हम दोनों के देखने का
था कितना मुख्तलिफ
थी हमारी निगाहें
एक ही शजर पर
तुम थे देखते उसकी,
सरसब्ज़ झूमती शाखें
और मेरी नज़र थी,
उस खोखली होती जड़ पर"
~~~S-ROZ ~~~
अधूरे ख्वाब
"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "
विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....
Wednesday, March 30, 2011
Sunday, March 27, 2011
रूठने के भी अपने "अदब' हुआ करते हैं
इक खामोश 'चाँद' सा दबे पावं
बेसदा,बेआवाज उसका आना
और मेरी जिंदगी में बन के ,
खुशियों के 'बादल' छा जाना
और फिर रूठ के बिन बरसे चले जाना
मेरे लिए हर नफस जीना,हर नफस मरना है
ए हवा ! जरा जाके उनसे कहना
रूठने के भी अपने "अदब' हुआ करते हैं
~~~S-ROZ~~~
Saturday, March 19, 2011
"रंग दूँ "
प्रीत का पीला, नेह का नीला
हर्ष का हरा,लावण्य की लाली
प्रेम के जल में हमने मिला ली
उस रंग से मै खुद को रंग दूँ
इसको रंग दूँ उसको रंग दूँ
अगहन रंग दूँ फागुन रंग दूँ
कार्तिक रंग दूँ सावन रंग दूँ
डगर रंग दूँ , पहर रंग दूँ
गावं रंग दूँ , शहर रंग दूँ
ये घर रंग दूँ वो घर रंग दूँ
आँगन रंग दूँ दामन रंग दूँ
मज़हब रंग दूँ सरहद रंग दूँ
मंदिर रंग दूँ मस्जिद रंग दूँ
आतम रंग दूँ मातम रंग दूँ
प्रेम के इस मनभावन रंग से
रुत के हर शय को ऐसो रंग दूँ
के मैं "मैं" ना रहूँ तू"तू" ना रहे
~~~S-ROZ~~~
Thursday, March 17, 2011
'रंग "
"हे कान्हा! बरसाने का रंग
किंचित वहां भी बरसाना
जहाँ यह निर्णय दुष्कर है,
कि यह खारापन !!!!
सागर का है या अश्रु का
रंग ऐसो पड़े उन पर
किंचित वहां भी बरसाना
जहाँ यह निर्णय दुष्कर है,
कि यह खारापन !!!!
सागर का है या अश्रु का
रंग ऐसो पड़े उन पर
ऊर उमंग अति उपजे
प्लावित हो उनका जीवन "
~~~S-ROZ ~~`
प्लावित हो उनका जीवन "
~~~S-ROZ ~~`
Friday, March 11, 2011
"घीसू" कि चाँदी
"देसी ठेके पर
आज "घीसू" कि चाँदी है .....
कुछ जानी दोस्त भी जुटे हैं
जो कभी तकते ना थे
हों भी क्यों ना ...
आज जो वो "बुधिया" का
आखरी जेवर....
मंगल सूत्र भी बेच आया है ..
~~~S-ROZ~~~..
Monday, March 7, 2011
"दीदार-ए-यार"
जिंदगी के तख्ते को ...
वक़्त !,बढ़ई के रन्दे सा
छिलता रहता है...
और फिर लम्हों के
बुरादे बिखर जाते हैं .....
...दिल, पर दर्द कि कील
ठक ठक सी चुभती है ....
फ्रेम पूरी होने को है
इबादत का रंग रोगन जारी है
पर उसमे तस्वीर नहीं दिखती ,
उस फ्रेम को अभी और संवरना है
शायद,तब हसरत पूरी हो.
मेरे उस दीदार-ए-यार की
~~~S-ROZ~~~
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