"सुसुप्त है गदा भीम की,अब भी मोहधीन है पार्थ !
"हे भारत के पान्चजन्य!अब तो समझो यथार्थ !
जागो ! संस्कृति के स्वाभिमान जगाने हेतु जागो !
जागो !भारत भूमि की गौरव महिमा बढ़ाने हेतु जागो!
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"हे मेरे गणतंत्र!! आज तू देश की अस्मिता जगा दे !
शत्रु मर्दनी गरिमा लेकर,दरिद्रता,आतंक,अनाचार मिटा दे !
'आज लगाकर निज ललाट पर तेरी रज का पावन चन्दन !
गणतंत्र दिवस के समुप्लक्ष्य में हम सब करते तेरा अभिनन्दन !
~~~S-ROZ~~~
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