कब् लोगे अवतार प्रभु तुम, अब किसका तुम्हे इन्तजार है
दुख से जीवन घिरा हुआ है ,चारों ओर फैला अत्याचार है
शान्ति कहाँ है मानव मन मे,जब हर तरफ कदाचार है
भौतिकता के इस दुनिया मे,बस फैला अन्धकार है
मानवता के मुल्यों पर दानावता का प्रचार है
कब् लोगे अवतार प्रभु तुम अब किसका तुम्हे इन्तजार है ?
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प्यार वफा इमान यहाँ अब बिकने को तैयार है
अपने अपनों को लूट रहे यह कैसा सन्सार है
काम क्रोध मद् लोभ तृष्णा का फैला अन्धकार है
हत्या, आतंक,नफरत,घृणा,हर जगह अनाचार है
कब् लोगे अवतार प्रभु तुम,अब किसका तुम्हे इन्तजार है ?
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मानव मानव का नाश करे ,यह मानवता कि हार है
अत्त्याचार .भ्रष्टाचार ,शोषण,बन गया अब शिष्टाचार है
आज त्रस्त है मानव मानव से,अब नही कहिँ गुहार है
लूट मची है ,हम लुटे दुनिया को हर करता यहि विचार है
कब् लोगे अवतार प्रभु तुम,अब किसका तुम्हे इन्तजार है?
dont worry..yada yada hi dharmasya,glanirbhawati bharat..abhutthanamnadharmasya tadatmanam srujamyaham..
ReplyDeleteएक सच... जिसे मैं बस पढता गया |
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति | बेहद खुबसूरत |
वो कहते हैं Its HOT...
मैं कहता हूँ Its Hari Om Tasat
पढ़ें
देश के हालात: मिसिर पुराण में
http://humbhojpuriya.blogspot.com/2010/05/blog-post.html
पता नहीं! कन्हैया जी कह तो गए थे.....
ReplyDeleteयदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतं
अभ्युथानम अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम...
देखिये कब फुर्सत मिलती है रास से.....