ख्वाब जो हक़ीक़त हो गया है
पर कुछ तो है जो खो गया है
भिगो के अश्क़ों से मेरा दामन
दाग अपने सारे वो धो गया है
देख के मेरे दिल की ज़रखेज़ी
फ़सल दर्द की वो बो गया है
आया था मेरे ख़्वाब सजाने
पलकों पे मोती पिरो गया है
दिल के गाँव में आबाद था जो
शहर जाकर वो शहर हो गया है
हर आहट पे जो जाग़ उठता था
इंतज़ार roz का अब सो गया है
~s-roz~
ज़रखेजी=उपजाऊपन
पर कुछ तो है जो खो गया है
भिगो के अश्क़ों से मेरा दामन
दाग अपने सारे वो धो गया है
देख के मेरे दिल की ज़रखेज़ी
फ़सल दर्द की वो बो गया है
आया था मेरे ख़्वाब सजाने
पलकों पे मोती पिरो गया है
दिल के गाँव में आबाद था जो
शहर जाकर वो शहर हो गया है
हर आहट पे जो जाग़ उठता था
इंतज़ार roz का अब सो गया है
~s-roz~
ज़रखेजी=उपजाऊपन
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 26/10/2013 को बच्चों को अपना हक़ छोड़ना सिखाना चाहिए..( हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 035 )
- पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....