आजकल घर
वातानुकूलित होते हैं
बदलते मौसम का असर
घर पर ............
नहीं होता !
ऐसे एकरस माहौल से
ऊब चुके रिश्ते .....
घर के बंद सांकलों में
अटक कर रह जाते हैं
और उनमे घुट घुट कर ...
जीता " प्रेम "
दरवाजे की महीन झिर्रियों से
बह निकलता है !!!
~s-roz~
वातानुकूलित होते हैं
बदलते मौसम का असर
घर पर ............
नहीं होता !
ऐसे एकरस माहौल से
ऊब चुके रिश्ते .....
घर के बंद सांकलों में
अटक कर रह जाते हैं
और उनमे घुट घुट कर ...
जीता " प्रेम "
दरवाजे की महीन झिर्रियों से
बह निकलता है !!!
~s-roz~
सच रिश्तों पर मौसम का रंग आजकल कुछ ज्यादा ही चढ़ा रहता है ..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति .
नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएँ
हार्दिक आभार कविता जी आपको भी नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएँ
Deleteहार्दिक आभार सुषमा जी !
ReplyDeleteha saroj ji right written. Bahut superb
ReplyDeleteदीदी इस पोस्ट की चर्चा, शुक्रवार, दिनांक :-18/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -27 पर.
ReplyDeleteआप भी पधारें, सादर ....नीरज पाल।
एकरसता प्रेम का दुश्मन है |अच्छा कहा |
ReplyDeletelatest post महिषासुर बध (भाग २ )