अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Saturday, October 19, 2013

"विरसे में निकलेगा प्रेम"


बर्तन,सिक्के,मुहरें,
मिट्टी के ढेर में पोशीदा चक्की-चूल्हे
बेनाम ख़ुदाओं के बुत टूटे-फूटे
 कुंद औज़ार , ज़ेवर मटमैले
क्या बस,इतना ही विरसा है हमारा ?
सोचती हूँ .....
जाने से पहले
मिटटी में गाड़ जाऊँ ...

सहेजा......संजोया
"प्रेम"......................!
~s-roz~

3 comments:

  1. दीदी इस पोस्ट की चर्चा आज सोमवार, दिनांक : 21/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -31पर.
    आप भी पधारें, सादर ....नीरज पाल

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    1. हार्दिक आभार भाई !

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  2. प्रेम दफ़न नहीं होता वो तो हवाओं में घुल जाता है खुशबू बनकर ।

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