हताहत हैं सभी 
कोई ना कोई अंग 
 जख्मी  है सभी का 
मरणासन्न ,...किन्तु 
 अदम्य जिजीविषा 
मारे डाल रही 
न निकलते है प्राण 
न मिलता है त्राण 
    मृत्यु जागृत हो रही 
 चहुँ  ओर  !
क्या,
अब कोई बचा नहीं  
अखंडित ?
    जिसके हाथों 
हो सके अर्पण .
हम सभी के  
तर्पण का !!
    ~S-roz ~
 
 
जो तन बीते, वो तन जाने..
ReplyDeleteबहुत दर्द महसूस हुआ.......