बेनयाज़ लहरें
मुझको खेंचती है
दम-बदम
अपनी जानिब
कहकर ये
"हासिल करने है तुम्हे
अभी मुक़ामात कई
देखनी है अभी
और भी दुनिया नई"
पर बन गया है
मेरे क़दमों का लंगर
मेरा ही आशियाँ
सोचती हूँ .....
कुछ देर ठहरूं तो चलूँ
सोचती हूँ ....
कुछ देर और ठहरूं तो चलूँ
~s-roz~
बेनयाज़=स्वछन्द
मुझको खेंचती है
दम-बदम
अपनी जानिब
कहकर ये
"हासिल करने है तुम्हे
अभी मुक़ामात कई
देखनी है अभी
और भी दुनिया नई"
पर बन गया है
मेरे क़दमों का लंगर
मेरा ही आशियाँ
सोचती हूँ .....
कुछ देर ठहरूं तो चलूँ
सोचती हूँ ....
कुछ देर और ठहरूं तो चलूँ
~s-roz~
बेनयाज़=स्वछन्द
सच है...हम ही अपने को रोकते हैं...खुद को...नए मुकाम पाने से...
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया वाणभट जी
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