बचपन में याद है हमें साल के ३६४ दिन मार, डांट ,फटकार ,मुर्गा बनना इत्यादि जैसे प्यारे प्यारे ज़ुल्म बड़े-बड़वार हमपर कर लेते थे मगर जन्मदिन के दिन हमें खुल्ली आज़ादी होती थी उस दिन हम कुछ भी करे माफ़ होता था उसी प्रकार ..आज "महिला दिवस" है आज कम से कम मन भर मर्दों के प्रति भड़ास निकाल लिया जाय .......... मर्दों को इसमें उन्हें बुरा नहीं मानना चाहिए क्यों हैं ना ? आखिरकार आज हमारा दिन है ....तो इसी बात पर हाज़िर है एक भड़ास !!
"चौपाल में बैठे एक वृद्ध ने
चिंतनीय स्वर में पूछा ?
मित्रों! आजकल जो औरत और मर्द के
समान होने का राग़ अलापा जाता है
तो वो दिन दूर नहीं जब ....
हमेँ औरतों से हीनतर समझा जायेगा
उनकी गुलामी से फिर
कौन हमें मुक्ति दिलाएगा ?
उनमे से एक बुद्धिजीवी बोला
मित्र ! इसमें डरने की क्या बात है?
एक दिन, फिर बुद्धिमान एवं जागरूक
औरतें सामने आयेंगी
जिस तरह जागरूक मर्दों ने
औरतों की आजादी की लड़ाई लड़ी है
उसी तरह ये भी हमें आजादी दिलाएंगी .
~s-roz~
बुरा न मानो महिला दिवस है
"चौपाल में बैठे एक वृद्ध ने
चिंतनीय स्वर में पूछा ?
मित्रों! आजकल जो औरत और मर्द के
समान होने का राग़ अलापा जाता है
तो वो दिन दूर नहीं जब ....
हमेँ औरतों से हीनतर समझा जायेगा
उनकी गुलामी से फिर
कौन हमें मुक्ति दिलाएगा ?
उनमे से एक बुद्धिजीवी बोला
मित्र ! इसमें डरने की क्या बात है?
एक दिन, फिर बुद्धिमान एवं जागरूक
औरतें सामने आयेंगी
जिस तरह जागरूक मर्दों ने
औरतों की आजादी की लड़ाई लड़ी है
उसी तरह ये भी हमें आजादी दिलाएंगी .
~s-roz~
बुरा न मानो महिला दिवस है
उत्कृष्ट ....मन को ऊर्जा देते भाव.....
ReplyDeleteसहअस्तित्व के युग में स्त्री-पुरुष एक-दूसरे के पूरक हैं...
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