चाहते हो गर
सियासत की सांस
बदस्तूर चलती रहे
तो उसे मारो
तल्ख़ अल्फाजों से
उसे लानत भेजो
उसपर जुमले कसो
उसकी कमर तोड़ो
उसकी रीढ़ तोड़ो
ताकि वो
सदा के लिए
मुख़ालिफ़ हवाओं में
तनकर खड़ा होना
और सर बुलंद किए
चलते रहना
भूल जाए
गर वो कुछ दिन और
तन कर सीधा चला
तो बरसो का खड़ा किया
सियासी महल
नेस्तनाबूद हो सकता है !!
~s-roz~
गोया हम कोई काम भला तो करते नहीं और जो कोई करने की ठाने भी तो उसकी खैर-ओ ख्वाह में कोई कसर भी नहीं छोड़ते ...है की नहीं ?:)
सियासत की सांस
बदस्तूर चलती रहे
तो उसे मारो
तल्ख़ अल्फाजों से
उसे लानत भेजो
उसपर जुमले कसो
उसकी कमर तोड़ो
उसकी रीढ़ तोड़ो
ताकि वो
सदा के लिए
मुख़ालिफ़ हवाओं में
तनकर खड़ा होना
और सर बुलंद किए
चलते रहना
भूल जाए
गर वो कुछ दिन और
तन कर सीधा चला
तो बरसो का खड़ा किया
सियासी महल
नेस्तनाबूद हो सकता है !!
~s-roz~
गोया हम कोई काम भला तो करते नहीं और जो कोई करने की ठाने भी तो उसकी खैर-ओ ख्वाह में कोई कसर भी नहीं छोड़ते ...है की नहीं ?:)
बहुत खूब...
ReplyDeleteहार्दिक आभार देवेन्द्र पाण्डेय जी
Deleteअति सुंदर...
ReplyDeleteहार्दिक आभार वाणभट्ट जी
Deleteहार्दिक आभार वाणभट्ट जी
Deleteहार्दिक आभार सुषमा जी
ReplyDeleteBeautiful!
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