शाम बारिशों में
तो रात बूंदों में
किसी तूल कट ही गयी
आज फिर सहर ने
कोहरे की लिहाफ से
ज़बरन दिन को जगाया है
गूंगे दिन ने फिर
भीड़ में ..........
तनहाई दोहराई है !
~s-roz~
तो रात बूंदों में
किसी तूल कट ही गयी
आज फिर सहर ने
कोहरे की लिहाफ से
ज़बरन दिन को जगाया है
गूंगे दिन ने फिर
भीड़ में ..........
तनहाई दोहराई है !
~s-roz~
हर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी
ReplyDeleteफिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी...
बहुत बहुत शुक्रिया @वाणभट्ट जी
Deleteवाह!
ReplyDeleteBahut sundar!
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