अभी जो आया भूकंप, काँप गयी धरती भी
रौंदा गया है इतना के हांप गयी धरती भी !
हमारी कारस्तानियों का कोई हिसाब नहीं
इसका लेखा जोखा नाप गयी धरती भी !
पुत्र कुपत्र भले हो माता कुमाता नहीं होती
खुराफातों को ममता से ढांप गई धरती भी !
देखकर आतंक के साए अपने बदन पर
विश्वशांति के मन्त्र जाप गई धरती भी !
जब होगा असंतुलन धरा पर,बरसेगा कोप
ऐसा सभी को प्रेम से श्राप गई धरती भी !!!
~s-roz~
रौंदा गया है इतना के हांप गयी धरती भी !
हमारी कारस्तानियों का कोई हिसाब नहीं
इसका लेखा जोखा नाप गयी धरती भी !
पुत्र कुपत्र भले हो माता कुमाता नहीं होती
खुराफातों को ममता से ढांप गई धरती भी !
देखकर आतंक के साए अपने बदन पर
विश्वशांति के मन्त्र जाप गई धरती भी !
जब होगा असंतुलन धरा पर,बरसेगा कोप
ऐसा सभी को प्रेम से श्राप गई धरती भी !!!
~s-roz~
... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
ReplyDeleteसादर आभार संजय जी !
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