"पारा" प्रेम का
हाई हो न हो
"प्रेम" पारे सा होना चाहिए
जो गिरकर टूटता है कई टुकड़ों में
जुड़ने में पल नहीं गंवाता
कोई गांठ भी नहीं होती उस जुडाव में
और ..........
उस "पारे"(प्रेम) को
कोई रंगे हाथों
पकड़ भी तो नहीं पाता
तभी कहती हूँ
"पारा" प्रेम का हाई हो न हो
"प्रेम" पारे सा होना चाहिए !!!
~s-roz~
आज थर्मामीटर के टूटने पर "पारे" को छितराते देख उपजा यह विचार ...:)
बहुत सुंदर खयाल ॥
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर विचार उपजा
ReplyDelete