तुम्हारे शब्दों के"राम स्पर्श" ने
ह्रदय वन में,उगे बनफूल को
जाने कैसे तो, छुआ था
अब आकर देखो तो
वो रूप से नहीं
गंध से नहीं
वर्ण से नहीं
बल्कि सम्पूर्ण
वानस्पतिक तत्व से
अकेला ही जी-वन से भरा
उप-वन हो गया है
~s-roz~
ह्रदय वन में,उगे बनफूल को
जाने कैसे तो, छुआ था
अब आकर देखो तो
वो रूप से नहीं
गंध से नहीं
वर्ण से नहीं
बल्कि सम्पूर्ण
वानस्पतिक तत्व से
अकेला ही जी-वन से भरा
उप-वन हो गया है
~s-roz~
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