अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Monday, August 27, 2012

"कुछ मुखतलिफ़ से ख्याल "

किसने कोड़े बरसायें हैं मौसम की मदहोशी पर
इतना बरसा टूट के बादल डूब गया सब सहरा भी!!
 
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दिल बेचैन ,रूह हैरान है, उस "खुदा" की बे वफाई पर
ए रोज़! भीड़ में यूँ किसी को भी"खुदा" न बनाया कर !!
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तेरा कद्दावर "दर" इतना बौना था के
सर भी ना बचा ,अना भी टूट गई !!
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जिंदगी का इक वरक़ रोज़, पढ़कर छोड़ते रहे हम
आँख खुली तो देखा उसी वरक़ को रोज़, मोड़ते रहे हम  !!
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सहमी सहमी सी है,शज़र की सब्ज कोंपले
सरफिरी हवाओं का सर अब कुचलना होगा!!
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दुश्मनी का सफ़र बड़ा पेचीदा ह                  
                      चलो दोस्ती की राह पकड़ें ..............
 इसका सफ़र एकदम सीधा है!!
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जख्म ऐसे पायें हैं के भरने को नहीं आते
शहद से मीठे बोल पे बहुत ऐतबार था उसका !! 
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मुसाफिर तुम भी हो,मुसाफिर हम भी है
जाना तुम्हे भी है ,जाना मुझे भी है
उसे पाना तुम्हे भी है ,पाना मुझे भी है
ओह्ह!! तो धक्का धुक्की किस बात की
हाथ में हाथ डाल और साथ चल !
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बदलियों से अठखेलियाँ उसकी जाती नहीं
रौशनी है कि अब हमारे घर पूरी आती नहीं !!
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जिंदगी ताउम्र तार्रुफ़ करवाती रही सिर्फ नाकामियों से
कुछ खुशरंग एहसास बचे है जो जीने की सलाह देते हैं!!
 
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माफ़ करना गर लफ़्ज़ों की धार बेज़ार करे
मुझे "रेशमी लफ़्ज़ों" की रफुगिरी नहीं आती !!
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चाहूँ भी गर आना पास तेरे, आ नहीं सकती
पाँव में मेरी जड़ें मजबूत है,दरख्तों की तरह !!
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बाहरी वजूद उसका "पथरीले कोहसार "सा है
पर ये इल्म है हमें भीतर उसके"चश्मे" गाते हैं !!
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यहाँ भावों को व्यक्त न करने की मुनादी है
और हम प्यार के शब्दों के आदी अपराधी हैं!!
~S-roz~
 

Monday, August 13, 2012

"तलाश"

हम दोनों !
ये बेहतर जानते हैं
जमीं ही सफ़र है,
जमीं ही जिंदगी
फिर भी...
हमारे ...
चाहत के आईने में
वो आसमान झलकता है
जो हमारी दस्तरस से बाहर है
तुम तलाशते हो मुझमे जो मैं नहीं
मैं तलाशती हूँ तुममे जो तुम नहीं !
~S-roz~

Sunday, August 12, 2012

"प्यास"

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Thursday, August 9, 2012

श्याम श्याम श्याम श्याम

निःशब्द धरा,निःशब्द व्योम,
निःशब्द अधर पर रोम-रोम
टेर रहा बस तेरा नाम
श्याम श्याम श्याम श्याम !!
 
जन्माष्टमी की ढेरों बधाइयाँ और शुभकामनाएँ :))

"राम स्पर्श"

तुम्हारे शब्दों के"राम स्पर्श" ने
ह्रदय वन में,उगे बनफूल को
जाने कैसे तो, छुआ था
अब आकर देखो तो
वो रूप से नहीं
गंध से नहीं
वर्ण से नहीं
बल्कि सम्पूर्ण
वानस्पतिक तत्व से
अकेला ही जी-वन से भरा
उप-वन हो गया है
~s-roz~