अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Thursday, December 8, 2011

"माँ" के मायने "

ट्राफिक सिग्नल पर...
फूल,खिलौने बेचते बच्चे
कार के शीशे पोछते बच्चे
अपने बच्चों की मानिंद
अपने क्यूँ नजर नहीं आते
शायद..,एक"माँ" होके भी
मुझे"माँ" के मायने नहीं आते
~~~S-ROZ ~~~
 
 

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