मेरी दरख़्त के पोसे चूजों के
अब 'पर' फड़ फड़ाने लगे हैं
खुश लम्स शाखों की ओट
नाकाफी है उनके लिए
जाना तो होगा ही उन्हें
... मंजिल की तलाश में
शायद लौटकर आना
मुमकिन ना हो उनके लिए
इल्तजा यही है ......
जान-ए-अज़ीज़ चूजों से
राह में दिखे कोई तनहा दरख़्त
उसमे 'अक्स' मेरा ही देखना
~~~S-ROZ~~~
अब 'पर' फड़ फड़ाने लगे हैं
खुश लम्स शाखों की ओट
नाकाफी है उनके लिए
जाना तो होगा ही उन्हें
... मंजिल की तलाश में
शायद लौटकर आना
मुमकिन ना हो उनके लिए
इल्तजा यही है ......
जान-ए-अज़ीज़ चूजों से
राह में दिखे कोई तनहा दरख़्त
उसमे 'अक्स' मेरा ही देखना
~~~S-ROZ~~~
उसमें अक्स मेरा ही देखना.....सुन्दर बात ,सरोज
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा.....
ReplyDeleteNidhi /Shushma ji aapki hausala afzai ka tahe dil se shukriya ...:)
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही बढि़या ।
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