मुद्दतों से
अपाहिज सी
इक ख्वाहिश
जो पड़ी थी
दिल में कहीं
... जाने कैसे तो
कल ख्वाब में
उसे चलते देखा
पा लेने को उसे
मचलते देखा !
~~~S-ROZ~~~
इक ख्वाहिश
जो पड़ी थी
दिल में कहीं
... जाने कैसे तो
कल ख्वाब में
उसे चलते देखा
पा लेने को उसे
मचलते देखा !
~~~S-ROZ~~~
वाह ..बहुत खूब ...
ReplyDeleteबहुत बहुत खूब..... क्या कह दिया आपने.... लाजवाब.....
ReplyDeleteसंगीता जी /सुषमा जी आपकी प्रोत्साहित करती पंक्तियों का ह्रदय से आभार !!
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