इस पहर की ,गुनगुनी धूप
मेरे चौखट पर,यूँ आई है
जैसे तेरे प्यार की ,परछाई है
तन में तपन है ,नेह का सृजन है
लगता है ऐसे ,संग सजन है
इस पहर की ,गुनगुनी धूप
जो अब जाने को है
क्या कल फिर आयेगी ?
बीते सुहाने एहसासों को
क्या फिर से जगाएगी ?
~~~S-ROZ~~~
खूबसूरत एहसास
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