अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Saturday, July 2, 2011

"काश के ऐसा होता कभी "

काश के ऐसा होता कभी
सपनो से चलता हुआ
आ जाता अपना वही
उसके प्यार कि खुशबु.....!
सांसों में बसी है अभी
लगता है जैसे,सब्जे में
मोगरे से लिपटा खड़ा है यहीं
जैसे लॉन में शमा जलाकर
रख गया है कोई ....!
काश के ऐसा होता कभी
लौ सा जलता हुआ . ..!
दिल कि तारीकी मिटाने
वो! आ जाता अभी .......!
~~~S-ROZ~~~

3 comments:

  1. अच्छी सोंच लिखते रहिये , बधाई ...

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  2. ऐसे सपने हर इंसान को आते है
    पर ये सौगात कुछ को ही नसीब होता है

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