"अंतरजाल के जाल में ..फैला
रिश्तों का 'आभासी संसार'
कुछ खट्टे,कुछ मीठे
कुछ झूठे,कुछ सच्चे
कुछ बने जीवन का आधार
कुछ मिले श्रधेय जन
कुछ सच्चे मार्गदर्शक
जिनका ह्रदय से है आभार "
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"जितना सुलझाना चाहूँ
उतनी ही उलझती जाती हूँ
ऐसा है अंतरजाल का ये आभासी व्यापार
'अधिकार और अपेक्षाओं से लदे
वास्तविक जीवन' .......के रिश्तों से परे
कितना रोचक और विचित्र है,ये'आभासी संसार'
सरोज जी,
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ब्लॉगजगत पर एक नायब पेशकश है आपकी....शुभकामनाये|