अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Saturday, December 11, 2010

'आभासी संसार'

 ‎"अंतरजाल के जाल में ..फैला
रिश्तों का 'आभासी संसार'
कुछ खट्टे,कुछ मीठे
कुछ झूठे,कुछ सच्चे
कुछ बने जीवन का आधार
कुछ मिले श्रधेय जन
कुछ सच्चे मार्गदर्शक
जिनका ह्रदय से है आभार "
.
"जितना सुलझाना चाहूँ
उतनी ही उलझती जाती हूँ
ऐसा है अंतरजाल का ये आभासी व्यापार
'अधिकार और अपेक्षाओं से लदे
वास्तविक जीवन' .......के रिश्तों से परे
कितना रोचक और विचित्र है,ये'आभासी संसार'


1 comment:

  1. सरोज जी,

    बहुत सुन्दर ब्लॉगजगत पर एक नायब पेशकश है आपकी....शुभकामनाये|

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