अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Tuesday, December 7, 2010

"बाबा काशी का रक्ताभिशेक

"बाबा काशी का रक्ताभिशेक ??
उबल पड़ा है 'लहू' मेरा इसे देख
बाबा!! अब खोलो तुम अपना 'तीसरा नेत्र'
"हे माँ गंगे !!अब मात्र पापियों का
तारण करना ही नहीं रहा शेष
अब लाओ अपने में "बडवानल "
जो निर्दोशो का बहा रहे रक्त
हमें चाहिए उनका "ध्वंसावशेष "
~~~स-रोज़~~~

2 comments:

  1. bhagvaan ke bahaane.....ek utprerak kavita ke liye dhanyavaad......aapki kaamnaa poorn ho.....aameen

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  2. .....आओ मेरे राम बसो.

    आओ मेरे राम बसो.
    मेरे इस हृदयाँगन में ।

    चरणरजों से तारी अहिल्या,
    केवट को गले लगाया,
    पितावचन पालने हेतु,
    त्यागा मुकुट एक पल में।
    आओ मेरे राम बसो.
    मेरे इस हृदयाँगन में ।


    निश्छल प्रेम भरत भाई से,
    विह्वल गले लगाया,
    चरणपादुका दे दी अपनी,
    भाई के मान मनौव्वल में ।
    आओ मेरे राम बसो.
    मेरे इस हृदयाँगन में ।

    निर्भय किया दारुकारण्य को,
    षर-दूषण का नाश किया,
    अभय किये यती सन्यासी,
    लेकर बाण-धनुष भुजदंडो में ।
    आओ मेरे राम बसो.
    मेरे इस हृदयाँगन में ।

    पर्णकुटी और कुश की शैय्या ,
    भोजन कन्दमूल फल पाया,
    शबरी के जूठे फल खाये,
    प्रेम भक्ति वत्सलता में ।
    आओ मेरे राम बसो.
    मेरे इस हृदयाँगन में ।

    रावण ने माया मृग छल से,
    सीता का अपहरण किया,
    नदी, नार, वन कहाँ न ढूढा,
    प्रेम-विरह व्याकुलता में ।
    आओ मेरे राम बसो.
    मेरे इस हृदयाँगन में ।

    भक्त प्रवर हनुमत से मिलकर,
    सुग्रीव को गले लगाया,
    पत्थर भी पानी पर तैरा,
    रामनाम की शक्ति में ।
    आओ मेरे राम बसो.
    मेरे इस हृदयाँगन में ।

    वानरसेना संग करी चढाई,
    महायुद्ध का शंखनाद किया,
    अंत किया रावण सेना का,
    अभिषेक मित्र का लंका में।
    आओ मेरे राम बसो.
    मेरे इस हृदयाँगन में ।

    लखन सहित, संग में सीता,
    निज घर को प्रस्थान किया,
    गदगद हुए अयोद्ध्यावासी,
    रामराज की बधाई में।
    आओ मेरे राम बसो.
    मेरे इस हृदयाँगन में ।

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