उल्लासित,"दशमी"को हम
दसकंधर-दहन देखने जायेंगे,
एक अग्निबाण !नाभि पर ,
और 'रावण' जल जाएगा
एक अग्निबाण !नाभि पर ,
और 'रावण' जल जाएगा
"असत्य पर सत्य" की विजय
हर्षित हो हम चिल्लायेंगे ,
जलते हुए रावण के मुख को
कभी गौर से देखा है?
एक कुटिल मुस्कान लिए,
मानों कह रहा हो........... ,
"मैं बुराई का पुतला,
क्षण में भष्म हो जाऊँगा
परन्तु!गहरे पैठा हूँ जो तुम्हारे ,
उसको भष्मित कैसे कर पाओगे ,
फिर कैसे करोगे सत्य का आह्वान
कभी गौर से देखा है?
एक कुटिल मुस्कान लिए,
मानों कह रहा हो........... ,
"मैं बुराई का पुतला,
क्षण में भष्म हो जाऊँगा
परन्तु!गहरे पैठा हूँ जो तुम्हारे ,
उसको भष्मित कैसे कर पाओगे ,
फिर कैसे करोगे सत्य का आह्वान
लेकर मेरा ही अंश,.......
पुनः करोगे घर को प्रस्थान "
सरोज जी,
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर......आदमी के अन्दर छिपे रावण पर कठोर प्रहार है ये इस रावण को जितना बहुत कठिन है क्योंकि यहाँ कोई राम नहीं है ....बहुत खूब......विजयदशमी की शुभकामनाये|
बहुत ही सुन्दर|विजयदशमी की शुभकामनाये|
ReplyDeleteसुन्दर..
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को दशहरे की बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं
AAP SABHI KA HAARDIK AABHAR ..WA VIJAYDASHMI KI SHUBHKAMNAYEN
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा सरोज बहन ....आपकी शैली ने प्रभावित किया
ReplyDeleteभष्म - भस्म
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