अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Saturday, October 16, 2010

"दसकंधर-दहन"

उल्लासित,"दशमी"को हम
दसकंधर-दहन देखने जायेंगे,
एक अग्निबाण !नाभि पर ,
और 'रावण' जल जाएगा
"असत्य  पर सत्य" की विजय
हर्षित हो हम चिल्लायेंगे  ,
जलते हुए रावण के मुख को
कभी गौर से देखा है?
एक कुटिल मुस्कान लिए,
मानों कह रहा हो........... ,
"मैं बुराई का पुतला,
क्षण में भष्म हो जाऊँगा
परन्तु!गहरे पैठा हूँ जो तुम्हारे ,
उसको भष्मित कैसे कर पाओगे ,
फिर कैसे करोगे  सत्य का आह्वान
लेकर मेरा ही अंश,.......
पुनः करोगे घर को प्रस्थान "

6 comments:

  1. सरोज जी,

    बहुत ही सुन्दर......आदमी के अन्दर छिपे रावण पर कठोर प्रहार है ये इस रावण को जितना बहुत कठिन है क्योंकि यहाँ कोई राम नहीं है ....बहुत खूब......विजयदशमी की शुभकामनाये|

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  2. बहुत ही सुन्दर|विजयदशमी की शुभकामनाये|

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  3. सुन्दर..

    आपको एवं आपके परिवार को दशहरे की बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं

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  4. AAP SABHI KA HAARDIK AABHAR ..WA VIJAYDASHMI KI SHUBHKAMNAYEN

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  5. बहुत ही अच्छा सरोज बहन ....आपकी शैली ने प्रभावित किया

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