रेज़ा-रेज़ा सारे हर्फ़ मेरे लफ़्ज़ों में ..... लफ्ज़ मानी में और मानी ... तेरी कहानी में तब्दील हो जाते हैं मेरा ....फिर कुछ मेरा नहीं रह जाता !!
=== मेरे ही लफ्ज़ कहाँ थे वो, हर्फों में तेरा ही तो नाम था, और उस कहानी में, ज़िक्र सिर्फ मेरा था, जिसकी गुमशुदगी में मैं आज भी जीता हूँ, तेरी कहानी, और फिर सब कुछ तब्दील हो जाता है, पालक झपकते ही, तुममे… सिर्फ तुममे , और जल उठता है अमलताश मेरे अंदर।
अचानक ही हर्फ़ लब्ज़ों में और लब्ज़ कीपैड पर उँगलियों को ठोकते गए, और कुछ यह निकला, निशब्द हूँ.
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति ।मेरे पोस्ट पर आप आमंश्रित हैं।!
ReplyDeleteपहली सीढ़ी अपने और उस परम पिता के बीच की
ReplyDeleteरेज़ा-रेज़ा सारे हर्फ़
ReplyDeleteमेरे लफ़्ज़ों में .....
लफ्ज़ मानी में
और मानी ...
तेरी कहानी में
तब्दील हो जाते हैं
मेरा ....फिर कुछ
मेरा नहीं रह जाता !!
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मेरे ही लफ्ज़ कहाँ थे वो,
हर्फों में तेरा ही तो नाम था,
और उस कहानी में,
ज़िक्र सिर्फ मेरा था,
जिसकी गुमशुदगी में मैं आज भी जीता हूँ, तेरी कहानी,
और फिर सब कुछ तब्दील हो जाता है,
पालक झपकते ही, तुममे… सिर्फ तुममे ,
और जल उठता है अमलताश मेरे अंदर।
अचानक ही हर्फ़ लब्ज़ों में और लब्ज़ कीपैड पर उँगलियों को ठोकते गए, और कुछ यह निकला, निशब्द हूँ.